कोलकाता : पश्चिम बंगाल में ‘जय श्रीराम’ बोलने पर कार्रवाई किये जाने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कड़ी आपत्ति जतायी है. संघ ने जय श्रीराम बोलने पर कार्रवाई के खिलाफ अदालत ने चुनौती देने पर विचार किया जा रहा है.
आरएसएस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ जिष्णु बसु ने कहा कि भारतीय संविधान में देश के प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म पालन की स्वाधीनता दी गयी है. कोई भी अपनी इच्छानुसार अपने धर्म का पालन कर सकता है. इसमें कोई बाधा नहीं दे सकता है, लेकिन हाल में पश्चिम बंगाल में विभिन्न मामलों में देखा जा रहा है कि जय श्रीराम का नाम लेने पर हिरासत में ले लिया जा रहा है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनाप-शनाप बोल रही हैं.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं है और न ही यह नैतिकता के दायरे में आता है. इसकी पूरे देश में निंदा हो रही है. रविवार को इस मामले में कानून और संविधान विशेषज्ञों से राय ली गयी है तथा राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई के खिलाफ अदालत में मामला करने पर विचार किया जा रहा है.
डॉ बसु ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री को जय श्रीराम के नारे पर आपत्ति है, तो राज्य सरकार ने विधानसभा में विधेयक लाकर कानूनी रूप से ‘जय श्रीराम’ नारे पर पाबंदी लगा दे. राज्य सरकार यह आदेश जारी करे कि जय श्रीराम बोलने वालों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जायेगी.
उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति बढ़ी है तथा हिंदुओं पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं. एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए दूसरे वर्ग के खिलाफ उत्पीड़न का रवैया अपनाया जा रहा है, लेकिन अब बंगाल की जनता इसे समझ गयी है और इसका जवाब देने लगी है.