कोलकाता/ नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फिर केंद्र की यूपीए सरकार की नीतियों के खिलाफ खड़ी हुई हैं. मुख्यमंत्री ने 15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की होनेवाली बैठक में शिरकत करने से इनकार करते हुए इसे ‘निरर्थक’ करार दिया है. इसके बाद भी नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को उम्मीद है कि बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में हिस्सा लेंगी.
मामले को लेकर राजीव कुमार ने कहा कि हमने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरे सम्मान के साथ आमंत्रित किया है और मैं अभी भी उम्मीद कर रहा हूं कि वह मेरा व्यक्तिगत निमंत्रण स्वीकार करेंगी और 15 तारीख को गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भाग लेंगी और हम आगे नीति आयोग में सुधार कैसे लाएं, इसका आइडिया देंगी.
यहां चर्चा कर दें कि इस बाबत ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नीति आयोग की बैठक में नहीं शामिल होने के निर्णय की जानकारी दी है. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सुश्री बनर्जी ने कहा कि नीति आयोग के पास न तो कोई वित्तीय शक्तियां हैं और न ही राज्य की योजनाओं में मदद के लिए उसके पास शक्ति है. ऐसे में किसी भी प्रकार की वित्तीय शक्तियों से वंचित ऐसी संस्था की बैठक में शामिल होना, उनके लिए निरर्थक है.
क्या कहा ममता बनर्जी ने
शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में एक प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जिस बैठक से राज्य को कोई फायदा ही नहीं, तो वहां क्यों जाना. इससे बेहतर योजना आयोग था, जहां राज्यों की योजनाओं पर भी चर्चा होती थी और उनकी बातों को भी सुना जाता था. योजना आयोग के माध्यम से राज्यों को फंड भी मुहैया कराया जाता था. मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि सहकारी संघवाद को बढ़ाने और संघीय नीति की मजबूती के लिए अंतरराज्यीय परिषद (आइएससी) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में नीति आयोग से प्राप्त अनुभव ने मेरे पहले के विचार को बल दिया कि हमें संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत गठित अंतरराज्यीय परिषद पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश की प्रमुख इकाई के तौर पर आइएससी को अपने कार्य के निष्पादन के लिए इसमें समुचित संशोधन कर इसके कामकाज का दायरा बढ़ाना चाहिए.
नहीं पहुंचीं थी पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में
उल्लेखनीय है कि इससे पहले वह प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुईं थी. राज्य में राजनीतिक हिंसा में भाजपा के 54 कार्यकर्ताओं की हत्या के दावे को ‘गलत’ ठहराते हुए उन्होंने 30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आने से मना कर दिया था.