बंगाल के डॉक्टरों के समर्थन में उतरे अन्य राज्यों के डॉक्टर,मरीज बेहाल, एनआरएस में बहाल हुई इमरजेंसी सेवा

नयी दिल्ली/कोलकाता : पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल चौथे दिन भी जारी है. गुरुवार दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश को डॉक्टरों ने नहीं माना और कहा कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी. इस हड़ताल को अन्य राज्यों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2019 10:06 AM

नयी दिल्ली/कोलकाता : पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल चौथे दिन भी जारी है. गुरुवार दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश को डॉक्टरों ने नहीं माना और कहा कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी. इस हड़ताल को अन्य राज्यों के डॉक्टरों का भी समर्थन मिल रहा है. कोलकाता से लेकर मुंबई और राजधानी दिल्ली तक डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान हैं.

पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों की हड़ताल के समर्थन में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने अखिल भारतीय विरोध दिवस का ऐलान किया है. दिल्ली मेडिकल असोसिएशन के साथ-साथ पटना और रायपुर एम्स के डॉक्टर भी हड़ताल के समर्थन में उतर चुके हैं. देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराती नजर आ रही है.

केरल के इंडियन मेडिकल असोसिएशन, त्रिवेंद्रम के सदस्यों ने भी पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया. इधर , जयपुर में जयपुरिया अस्पताल के डॉक्टर पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरोध में काली पट्टी बांधकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं.

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरोध में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भी डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल, जीबी पंत, गुरु नानक आई सेंटर और सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में भी हड़ताल चल रहा है.

महाराष्ट्र में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरोध में नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन हो रहा है. हैदराबाद में निजाम इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरोध में मार्च निकाला.

क्या कहा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने
पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर जारी देशव्यापी हड़ताल पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मैं सभी डॉक्टरों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. मैं डॉक्टरों से केवल प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करने और अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए जारी रखने की अपील करता हूं. उन्होंने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल के सीएम ममता बनर्जी से अपील करता हूं कि इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं. उन्होंने डॉक्टरों को एक अल्टिमेटम दिया, जिसके परिणामस्वरूप वे नाराज हो गये और हड़ताल पर चले गये. आज मैं ममता बनर्जी जी को पत्र लिखूंगा और उनसे इस मुद्दे पर बात करने की भी कोशिश करूंगा.यहां चर्चा कर दें कि एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात की है.

हड़ताल क्यों किया गया
गौरतलब है कि कोलकाता स्थित एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक 75 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गयी थी जिसके बाद बुजुर्ग के परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया था और दो डॉक्टरों की पिटाई कर दी थी. आरोपों के मुताबिक करीब 200 लोग ट्रकों में पहुंचे थे और अस्पताल परिसर पर हमला बोल दिया. हमले में दो जूनियर डॉक्टर बुरी तरह घायल हो गये थे.

एनआरएस में बहाल हुई इमरजेंसी सेवा, बंद है आउटडोर

कोलकाता : एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों पर हुए हमले के विरोध में राज्य में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है. मंगलवार से ही सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आउटडोर व इमरजेंसी विभाग बंद है. शुक्रवार को भी एनआरएस, पीजी,कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, सागर दत्त मेडिकल कॉलेज समेत राज्य भर के अन्य मेडिकल कॉलेजों में आउटडोर विभाग को बंद रखा गया. हालांकि पीजी समेत कुछ अस्पतालों में इमरजेंसी विभाग सिर्फ गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए ही खुला रखा गया है. वहीं शुक्रवार को एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी विभाग को खोल दिया गया. विभाग इमरजेंसी रूल को फॉलो करता हुआ सिर्फ और सिर्फ गंभीर और अति गंभीर केस को ही हैंडल कर रहें हैं. ज्ञात हो कि एनआरएस में जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार रात से ही इमरजेंसी विभाग को बंद रखा था.

दिल्ली और मुंबई का हाल
शुक्रवार को दिल्ली में डॉक्टरों ने ओपीडी के अलावा रूटीन सर्जरी के मामलों को नहीं देखने का निर्णय लिया है. एम्स और सफदरजंग अस्पताल में नये मरीजों के ओपीडी में रजिस्ट्रेशन बंद कर दिये गये हैं. यहां पहले से भर्ती मरीजों को इलाज जारी है. वहीं महाराष्‍ट्र की बात करें तो यहां महाराष्ट्र असोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) ने भी डॉक्टरों की हड़ताल को समर्थन देने का काम किया है. असोसिएशन की तरफ से आधिकारिक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि हमने शुक्रवार सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक ओपीडी, वॉर्ड और अकैडमिक सेवाओं को बंद रखने का निर्णय लिया है. हालांकि इमर्जेंसी सेवाओं पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिलेगा.

सीएम ममता बनर्जी की चेतावनी

जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार दोपहर में सरकारी एसएसकेएम अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने ‘हमें इंसाफ चाहिए’ के नारे लगाए. सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि मैं आंदोलन की निंदा करती हूं. कनिष्ठ चिकित्सकों का आंदोलन माकपा और भाजपा का षड्यंत्र है. आपको बता दें कि बनर्जी के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का भी प्रभार है. उन्होंने चिकित्सकों को चार घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा था लेकिन बाद में समय-सीमा में संशोधन करके इसे अपराह्न दो बजे कर दिया. उन्होंने ऐसा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा कि उन्हें छात्रावास खाली करने होंगे. बनर्जी की समय सीमा के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी.

राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात

डॉक्टरों की एक टीम ने इस मुद्दे पर राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात की. राज्यपाल ने भी उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील की. त्रिपाठी से भेंट के बाद राजभवन के बाहर एक जूनियर डॉक्टर ने कहा कि ‘‘मांग पूरी होने तक हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे. हमारी मांगे साधारण हैं… उचित सुरक्षा मिले और सभी अस्पताल में सशस्त्र पुलिस बल तैनात हों तथा एनआरएस अस्पताल में शनिवार को हुए हमले में शामिल अपराधियों को गैर जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया जाए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कहा, हमें उनसे उसकी उम्मीद नहीं थी.

विपक्ष का हमला

इस बीच एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रधानाचार्य साइबल मुखर्जी तथा चिकित्सा अधीक्षक एवं उप प्रधानाचार्य प्रो सौरभ चटोपाध्याय ने संस्थान के संकट से निपटने में विफल रहने की वजह से इस्तीफा दे दिया. विपक्ष ने गतिरोध के लिए बनर्जी पर हमला किया है और भाजपा ने उनपर ‘हिटलर’ की तरह काम करने का आरोप लगाया.

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