डॉक्टर हड़ताल मामले में, हाईकोर्ट ने ममता सरकार को दिया बात करने का आदेश, फिल्मेकर अपर्णा सेन भी आयीं डॉक्टर्स के पक्ष में
कोलकाता : कोलकाता में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को अब फिल्ममेकर अपर्णा सेन का भी साथ मिल गया है. अपर्णा सेन एनआरएस कॉलेज पहुंची और कहा कि मैं मुख्यमंत्री से अपील करती हूं कि वे डॉक्टरों से बात करें. यदि आपको किसी के व्यवहार के कारण बुरा लगा हो, तो कृपया उन्हें क्षमा करें. क्या […]
कोलकाता : कोलकाता में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को अब फिल्ममेकर अपर्णा सेन का भी साथ मिल गया है. अपर्णा सेन एनआरएस कॉलेज पहुंची और कहा कि मैं मुख्यमंत्री से अपील करती हूं कि वे डॉक्टरों से बात करें. यदि आपको किसी के व्यवहार के कारण बुरा लगा हो, तो कृपया उन्हें क्षमा करें. क्या आपको लगता है कि वे हमारे राज्य को छोड़कर चले जायेंगे तो यह बंगाल के लिए अच्छा होगा.
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी है. हड़ताल के कारण सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों तथा कई निजी अस्पतालों में नियमित सेवा प्रभावित हो रही है. हालांकि, यहां नील रतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सहित एक या दो अस्पतालों में आपात सेवा शुक्रवार सुबह में उपलब्ध रही.
पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर कोलकाता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार को फटकार लगायी है. कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार से पूछा है कि आरोपियों के खिलाफ अबतक क्या कार्रवाई की गयी. कोर्ट ने सरकार को डॉक्टरों से बात करने का आदेश दिया है.कोर्ट ने मामले को लेकर दखल देने से इनकार किया है.
इधर, आरजी कर मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल, कोलकाता के 16 डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा देते हुए कहा है कि मौजूदा हालात में हम अपनी सेवा प्रदान करने में असमर्थ हैं, इसलिए हम इस्तीफा दे रहे हैं. नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल, दार्जिलिंग के दो डॉक्टरों ने भी बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरोध में इस्तीफा दिया है.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा फिर से सेवा शुरू नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दिये जाने के बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी है. सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों तथा कई निजी मेडिकल संस्थानों में ओपीडी और अन्य विभागों में सेवाएं पूरी तरह बाधित है. एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद जूनियर डॉक्टरों के दो सहयोगियों पर कथित रूप से हमला करने और उनके गंभीर रूप से घायल होने के बाद वे मंगलवार से सरकारी अस्पतालों में खुद की सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के प्रवक्ता डॉक्टर अरिंदम दत्ता ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. दत्ता ने बताया कि ‘‘मुख्यमंत्री ने जिस तरीके से जूनियर डॉक्टरों को धमकी दी है वह अप्रत्याशित है… यह हमारे समुदाय का अपमान है. हम इसकी भी निंदा करते हैं… उन्होंने कल जो कहा इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए.’ उन्होंने बताया कि ‘‘हम बाहरी नहीं हैं और यह आंदोलन स्वत: स्फूर्त है… हम सामूहिक त्यागपत्र पर विचार कर रहे हैं.’
राज्य के कई हिस्सों में चिकित्सा सेवाओं के बाधित होने के मद्देनजर बृहस्पतिवार को राजकीय एसएसकेएम अस्पताल का दौरा करने वाली बनर्जी ने डॉक्टरों को चेतावनी दी कि अगर वे काम पर नहीं आएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि आंदोलनकारी एसएसकेएम अस्पताल के डॉक्टरों के बीच मौजूद ‘बाहरी लोगों’ ने उन्हें ‘गाली’ दी.
वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने जूनियर सहयोगियों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मांग काफी न्यायसंगत है. इस बीच, एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल और मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बृहस्पतिवार रात को अपना इस्तीफा सौंप दिया. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सैबल मुखर्जी और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सह उप-प्राचार्य प्रोफेसर सौरभ चट्टोपाध्याय ने मेडिकल संस्थान में संकट को दूर करने में विफल रहने के लिए चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
राज्य के डीएमई प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार डे ने बृहस्पतिवार रात को सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों और निदेशकों को निर्देश जारी किया था कि वे रोगी और आपातकालीन विभागों में तुरंत सामान्य सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करें. राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने बृहस्पतिवार को जूनियर डॉक्टरों से अपने कर्तव्यों का पालन करने की अपील की थी.
डॉक्टरों की एक टीम ने बृहस्पतिवार को राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दम तोड़ने वाले एक मरीज के परिजनों द्वारा कथित तौर पर डॉक्टरों पर किये गये हमले के बारे में उन्हें अवगत कराया. अधिकारियों ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की ओर से राज्यपाल को सौंपे गये एक ज्ञापन को उपयुक्त कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजा जा रहा है.