नहीं रुक रहीं ट्रेन से कटने की घटनाएं
कोलकाता: ट्रेन से कट कर मौत की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही. लगभग हर दिन कहीं न कहीं से ऐसी खबरें अखबारों में हेडलाइन बनती है. हावड़ा व सियालदह डिवीजन में भी रन ओवर की घटनाएं काफी बढ़ी हैं. मंगलवार को सियालदह-बजबज लाइन पर संतोषपुर के पास तीन दोस्त ट्रेन से कट गये. […]
कोलकाता: ट्रेन से कट कर मौत की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही. लगभग हर दिन कहीं न कहीं से ऐसी खबरें अखबारों में हेडलाइन बनती है. हावड़ा व सियालदह डिवीजन में भी रन ओवर की घटनाएं काफी बढ़ी हैं. मंगलवार को सियालदह-बजबज लाइन पर संतोषपुर के पास तीन दोस्त ट्रेन से कट गये.
इस दुर्घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि तीनों को गाना सुनने की लत के कारण जान गंवानी पड़ी. पिछले दिनों हावड़ा के बेलूड़ स्टेशन के पास भी ऐसी ही एक दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी. वह हेडफोन लगा कर गाना सुनते हुए रेल लाइन पार कर रहा था.
हर महीने 50 से अधिक मौत
आंकड़ों के मुताबिक, मात्र सियालदह डिवीजन में पिछले मई महीने में 63 लोगों की मौत ट्रेन से कट कर हुई है, जबकि हावड़ा डिवीजन में यह आंकड़ा 70 के पार है. एक अधिकारी के मुताबिक, सिर्फ हावड़ा-2 डिवीजन में (लिलुआ स्टेशन से लेकर आजीमगंज स्टेशन तक) में अप्रैल में 47 लोगों की, जबकि मई में 58 लोगों की मौत ट्रेनों से कट कर हुई.
लापरवाही में जाती हैं जान
यात्रियों की माने तो ऐसी दुर्घटनाओं के पीछे मरनेवाले की गलती तो होती है, लेकिन रेलवे प्रशासन भी कम दोषी नहीं. कॉलेज छात्र राहुल सिंह कहता है, कई स्थानों पर ओवर ब्रिज नहीं होने के कारण लोगों को मजबूरी में रेल लाइन पैदल ही पार करना पड़ता है लिहाजा दुर्घटना हो जाती है. बंगाल में अभी भी कई मानव रहित क्रॉसिंग है. वहीं अधिकतर घटनाएं वहीं होती हैं, क्योंकि वहां कोई सतर्क करनेवाला नहीं होता.
क्या कहते हैं अधिकारी
हावड़ा दो डिवीजन के वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त सत्य प्रकाश बताते हैं कि इन दिनों कान में हेडफोन लगाने का फैशन जोरों पर है, जहां लोग हेडफोन लगा कर वाहन चलाने से बाज नहीं आते, वहीं ट्रेनों में भी लोगों को हेडफोन लगा कर यात्र करते देखा जाता है. इन दिनों जितनी भी ट्रेन से कटने की घटनाएं हो रही हैं, उनमें अधिकतर हेडफोन के कारण होती हैं. ऐसी दुर्घटनाओं में इजाफा होता देख हम लोगों को जागरूक कर रहे हैं. ट्रेनों में स्काट टीम के लोग यात्रियों को हेडफोन लगाने से मना कर रहे हैं. ऐसा करने से होने वाले नुकसान के बारे में भी वे यात्रियों को बताते हैं.
पूर्व रेलवे में अभी भी 234 मानव रहित क्रॉसिंग
वहीं पूर्व रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया : रेलवे में दो तरह के रेल क्रॉसिंग होते हैं, एक मानव रहित लेवल क्रॉसिंग, जहां गेट तो होता है लेकिन उसे संचालित करने के लिए कोई व्यक्ति तैनात नहीं होता. वहीं मैन्ड लेवल क्रासिंग में एक व्यक्ति को तैनात किया जाता है, जो ट्रेनों के आने पर दरवाजों को बंद और खोलते हैं. ये ट्रेनों के आने के पूर्व लोगों को सावधान करने के लिए हूटर बजाते हैं. पूर्व रेलवे में मैन लेवल क्रॉसिंग 988 व मानव रहित क्रॉसिंग 234 हैं.