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डब्ल्यूएचओ के आयुष चिकित्सा गाइड लाइन कमिटी में भारतीय चिकित्सक

कोलकाता : वैश्विक स्तर स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आयुष को रोग निदान के वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में सुनियोजित प्रयोग हेतु अंतराष्ट्रीय स्तर पर गाइड लाइन तैयार की जा रही है. इस दिशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूचएचओ) और आयुष मंत्रालय के बीच भी एक समझौता हुआ है, जिसके तहत भारत के दो […]

कोलकाता : वैश्विक स्तर स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आयुष को रोग निदान के वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में सुनियोजित प्रयोग हेतु अंतराष्ट्रीय स्तर पर गाइड लाइन तैयार की जा रही है. इस दिशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूचएचओ) और आयुष मंत्रालय के बीच भी एक समझौता हुआ है, जिसके तहत भारत के दो चिकित्सक डब्ल्यूचएचओ के आयुष गाइड लाइन प्लानिंग कमिटी के सदस्य के रूप में अगले महीने जेनेवा जा रहे हैं.

कोलकाता के डॉ असित कुमार पांजा, जो वर्तमान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, जयपुर में मौलिक सिद्धांत विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और गुजरात के डाॅ भूपेश रजनीकांत पटेल. इलाज के लिए एलोपैथी व होमियोपैथी की अपनी-अपनी गाइड लाइन है. लेकिन आयुर्वेद, यूनानी व सिद्ध में ऐसी कोई गाइड लाइन नहीं, जिसे मान कर चिकित्सक इलाज करें. दुनिया के आयुष चिकित्सक इस गाइड लाइन के अभाव में अपने-अपने तरीके से प्रैक्टिस कर रहे हैं.
ऐसे में आयुष चिकित्सा पद्धति में समरूपता लाने के लिए इस गाइड लाइन को तैयार किया जा रहा है, ताकि किसी बीमारी के इलाज में एलोपैथी व होम्योपैथी के तरह ही दुनियाभर के आयुष चिकित्सक भी एक ही गाइड लाइन के तहत अपने मरीजों की चिकित्सा करें. साथ ही यह भी निर्धारित हो जायेगा कि कौन से डिग्रीधारी चिकित्सक किन-किन बीमारियों का इलाज कर सकेंगे. इस पहल से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नयी पहचान मिलेगी. वर्ष 2020 में डब्ल्यूएचओ की ओर से यह गाइड लाइन जारी की जायेगी.

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