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बंगाल को नहीं जानते अमर्त्य सेन, भारतीय या बांग्ला संस्कृति से उनका कोई लेना-देना नहीं, बोले दिलीप घोष

कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के ‘जय श्री राम’ वाले बयान पर शनिवार को पलटवार किया. उन्होंने कहा कि शायद अमर्त्य सेन बंगाल के बारे में जानते ही नहीं. उनका बांग्ला या भारतीय संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है. बंगाल के […]

कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के ‘जय श्री राम’ वाले बयान पर शनिवार को पलटवार किया. उन्होंने कहा कि शायद अमर्त्य सेन बंगाल के बारे में जानते ही नहीं. उनका बांग्ला या भारतीय संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है. बंगाल के बहुत से गांवों में लोग जय श्री राम बोलते हैं. अब तो पूरा बंगाल जय श्री राम के नारे लगा रहा है.

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ज्ञात हो कि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने शुक्रवार को कहा था कि ‘जय श्री राम’ का नारा बंगाली संस्कृति से जुड़ा नहीं है. श्री सेन ने कहा कि ‘मां दुर्गा’ के जयकारे की तरह ‘जय श्रीराम’ का नारा बांग्ला संस्कृति से नहीं जुड़ा है. लोगों की पीटने के बहाने के रूप में इसका इस्तेमाल हो रहा है. श्री सेन ने जादवपुर विश्वविद्यालय में कहा कि ‘मां दुर्गा’ बंगाल के लोगों के जीवन में सर्वव्याप्त हैं.

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अमर्त्य सेन ने कहा कि ‘जय श्री राम’ का नारा बांग्ला संस्कृति से नहीं जुड़ा है. उन्होंने कहा कि आजकल रामनवमी काफी ‘लोकप्रिय’ हो गया है. रामनवमी के बारे में उन्होंने इसके पहले कभी नहीं सुना था. श्री सेन ने कहा, ‘मैंने अपनी चार साल की पोती से पूछा कि उसके पसंदीदा भगवान कौन हैं? उसने जवाब दिया : मां दुर्गा.’ उन्होंने कहा कि मां दुर्गा हमारी जिंदगी में मौजूद हैं. मुझे लगता है कि जय श्री राम जैसा नारा लोगों को पीटने के लिए आड़ के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

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