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बंगाल में आठवीं कक्षा की पुस्तक में शहीद खुदीराम बोस को बताया आतंकी

– राज्य सरकार ने इतिहासकार जीवन मुखोपाध्याय के नेतृत्व में कमेटी का किया गठन – विधानसभा में राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने दी जानकारी कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार की आठवीं की इतिहास की किताब में खुदीराम बोस को आतंकवादी बताया गया है. किताब का एक स्नैपशॉट फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल साइट […]

– राज्य सरकार ने इतिहासकार जीवन मुखोपाध्याय के नेतृत्व में कमेटी का किया गठन

– विधानसभा में राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने दी जानकारी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार की आठवीं की इतिहास की किताब में खुदीराम बोस को आतंकवादी बताया गया है. किताब का एक स्नैपशॉट फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल साइट पर साझा किया जा रहा है. यह मुद्दा मंगलवार को विधानसभा में भी उठा. इस पर राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि मामले की जांच के लिए इतिहासकार जीवन मुखोपाध्याय के नेतृत्व में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो तीन महीने के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी.

हालांकि इस मामले को लेकर माध्यमिक शिक्षा परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. इस कमेटी में हिंदू स्कूल और हेयर स्कूल के प्रधान शिक्षकों को रखा गया है. इसके अलावा शिक्षाविद पवित्र सरकार भी इस कमेटी का हिस्सा हैं. पूरी किताब की समीक्षा ये टीम करेगी और गलतियों को सुधार कर नये सिरे से प्रकाशन की अनुशंसा भी की जायेगी.

मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर ये कमेटी काम करेगी. पहला पाठ्यक्रम में इस्तेमाल की गयी भाषा सहज और समझ में आने लायक है कि नहीं. दूसरा पांचवीं श्रेणी से लेकर 12वीं तक कई नये पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है. इसमें सिंगूर आंदोलन से लेकर कई अन्य ऐसे आंदोलनों को इसमें शामिल किया गया है, जिसकी नायिका ममता बनर्जी रही हैं. उस पाठ्यक्रम के तथ्यों की भी समीक्षा की जायेगी.

इसके साथ ही आठवीं श्रेणी के इतिहास की किताब में खुदीराम बोस को आतंकवादी के तौर पर चिह्नित किया गया है. उसे भी सुधारने का उपाय तलाशा जायेगा. इतिहास की इस किताब को तैयार करनेवाले शिक्षक निर्मल बनर्जी से मंगलवार को जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने खुदीराम बोस को आतंकवादी कहा था. मैंने उसी तथ्य को लिखा है. मैं इतिहास से छेड़छाड़ नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि ये पढ़ानेवाले शिक्षकों का काम है कि बच्चों को आतंकवादियों और क्रांतिकारियों में अंतर समझायें. राज्य शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षा वर्ष 2020 से पहले इस भूल को सुधार पाना संभव नहीं हो सकेगा.

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