कोलकाता : भाजपा के विनिंग स्ट्रोक के जरिये ही तृणमूल कांग्रेस के लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश में प्रशांत किशोर (पीके) जुट गये हैं. चाहे वह भाजपा की तर्ज पर कार्यसूची हो या फिर सदस्यता अभियान है. राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की योजना के साथ भाजपा की योजना में काफी समानता देखी जा सकती हैं. तृणमूल के लिए प्रशांत किशोर का मंत्र है कि पार्टी के हर विधायक अपने केंद्र में महीने में कम से कम सात-आठ दिन रहें.
मंत्रियों को भी ऐसा ही करना होगा. इससे इलाके के स्थानीय लोगों का विश्वास लौटेगा. आम जनता को लगने लगेगा कि नेता-मंत्री उनके करीब ही हैं. भाजपा की कार्यसूची की तर्ज पर ही वह जनसंपर्क अभियान पर जोर दे रहे हैं. भाजपा की तर्ज पर ही विस्तारक के फार्मेूले को वह अपनाने के लिए कह रहे हैं. यानी महीने में घर से बाहर सात दिन रहकर एक विस्तारक को काम करना होगा. प्रति विधानसभा केंद्र में 14 उपयुक्त कार्यकर्ता प्रशांत किशोर चाहते हैं, जो इलाके के सभी तथ्यों को संग्रह करेंगे. याद रखना होगा कि भाजपा की भी यही रणनीति होती है.
प्रदेश भाजपा के एक नेता के मुताबिक प्रशांत किशोर की रणनीति में भाजपा का रंग जरूर रहेगा. उन्हें सबसे बड़ा मौका भाजपा ने ही दिया था. दूसरी ओर तृणमूल का सवाल है कि प्रशांत किशोर के नाम से भाजपा को इतना भय क्यों लग रहा है.