राज्य सरकार को झटका. स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल का निर्देश
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केंद्र के समान ही मिले राज्य सरकार के कर्मियों को डीए
राज्य सरकार को झटका. स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल का निर्देश कोलकाता : ऑल इंडिया सेंट्रल प्राइस इंडेक्स के मुताबिक यानी केंद्र सरकार के नियमानुसार केंद्र सरकार के कर्मचारियों को जो महंगाई भत्ता मिलता है, उसी नियम के तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने का निर्देश स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (एसएटी) ने दिया है. तीन […]
कोलकाता : ऑल इंडिया सेंट्रल प्राइस इंडेक्स के मुताबिक यानी केंद्र सरकार के नियमानुसार केंद्र सरकार के कर्मचारियों को जो महंगाई भत्ता मिलता है, उसी नियम के तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने का निर्देश स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (एसएटी) ने दिया है. तीन महीने के अंदर अखिल भारतीय केंद्रीय मूल्य सूचकांक के आधार पर डीए देने की प्रक्रिया को राज्य के मुख्य सचिव को पूरा करना होगा.
शुक्रवार को महंगाई भत्ता संबंधी फैसला सुनाते हुए एसएटी के न्यायाधीश रंजीत कुमार बाग व न्यायाधीश सुबेश कुमार दास की खंडपीठ ने कहा कि चेन्नई व दिल्ली में कार्यरत राज्य सरकार के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मुताबिक महंगाई भत्ता मिलता है. लेकिन बंगाल में कार्यरत राज्य सरकार के कर्मचारियों को ऐसा नहीं मिलता. यह व्यवहार भेदभाव वाला है.
सरकार ऐसा नहीं कर सकती. जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों को केंद्रीय स्तर पर महंगाई भत्ता न देकर विशेष भत्ता दिया जा सकता है. खंडपीठ ने यह भी कहा है कि चेन्नई व दिल्ली में कार्यरत राज्य के कर्मचारियों को अरसे से केंद्रीय स्तर पर जो महंगाई भत्ता मिल रहा है, वह उनके वेतन से न काटा जाये.
अपने 29 पन्नों के फैसले में खंडपीठ ने कहा है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के संबंध में 2009 के ‘रोका कानून’ में स्पष्ट कुछ नहीं कहा गया है. समूचे देश में सरकारी कर्मचारियों को ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर महंगाई भत्ता दिया जाता है. मुद्रास्फीति की वजह से कर्मचारियों पर दबाव न पड़े, इसलिए यह नियम है. लिहाजा पश्चिम बंगाल सरकार को भी यह नियम मानना होगा.
खंडपीठ का यह भी कहना था कि वर्ष 2001 से 2011 तक नियमानुसार वर्ष में दो किस्तों में महंगाई भत्ता दिया जाता था.
लेकिन 2011 के बाद से राज्य सरकार इस नियम को नहीं मान रही. नियम को न मानने का कोई कारण भी नहीं बताया गया है. किस दर पर महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, वह भी स्पष्ट नहीं है.
गौरतलब है कि कनफेडेरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट इम्प्लाइज की ओर से दायर मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को डीए या महंगाई भत्ता उनका कानूनन अधिकार है. हालांकि बकाये के मामले में केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों को समान स्तर पर डीए मिलेगा या नहीं तथा एक ही पद पर काम करनेवाले दिल्ली व चेन्नई में कार्यरत राज्य सरकार के कर्मचारियों व राज्य में काम करनेवाले सरकारी कर्मचारियों के डीए में फर्क रहेगा या नहीं, यह तय करने के लिए एसएटी को हाइकोर्ट ने जिम्मेदारी दी थी.
इससे करीब वर्तमान में कार्यरत तीन लाख और चार पेंशन भागी कर्मचारियों को मिला कर करीब सात लाख कर्मचारी लाभान्वित होंेगे.
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