चंद्रयान-2 के मिशन में शामिल है ईटाहार का रौशन

गर्व : बेटे की इस उपलब्धि से पूरे गांव में खुशी की लहर ईटाहार : नदी-नहर, खेत-खलीहान के पार एक छोटा सा गांव रामनगर का रौशन अली चंद्रयान मिशन में शामिल होकर पूरे गांव का नाम रौशन कर दिया. इसरो से चांद के लिए भेजा गया चंद्रयान-2 के निर्माण में उसने वैज्ञानिक की भूमिका में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2019 12:58 AM

गर्व : बेटे की इस उपलब्धि से पूरे गांव में खुशी की लहर

ईटाहार : नदी-नहर, खेत-खलीहान के पार एक छोटा सा गांव रामनगर का रौशन अली चंद्रयान मिशन में शामिल होकर पूरे गांव का नाम रौशन कर दिया. इसरो से चांद के लिए भेजा गया चंद्रयान-2 के निर्माण में उसने वैज्ञानिक की भूमिका में बड़ा योगदान दिया है. ईटाहार थाना के कपासिया ग्राम पंचायत के इस अंजान गांव रामनगर में वैज्ञानिक रौशन अली का जन्म हुआ है. उनके पिता मैफुद्दीन अहमद चूड़ामण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से चतुर्थ वर्ग के अवकास प्राप्त कर्मचारी हैं. मां अनेशा बीबी गृहिणी हैं.
चार भाई-बहनों के बीच किसी तरह से गुजारा चलाने वाले परिवार में रौशन पले बढ़े हैं. स्थानीय स्कूल से 1993 में माध्यमिक पास करने के बाद रौशन ने विज्ञान विभाग में उच्च माध्यमिक व स्नातक की पढ़ाई रायगंज यूनिवर्सिटी कॉलेज से पूरा किया. इसके बाद वह मालदा के पॉलिटेकनिक कॉलेज से मेकनिकल इंजीनियरिंग किया. रौशन ने फोन पर बताया कि इसरो के मेकनिकल इंजीनियरिंग विभाग में नियुक्ति का एक विज्ञापन देखकर आवेदन किया था.
इसके बाद परीक्षा व अन्य टेस्ट पास करने पर उन्हें इस संस्थान में शोध करने का मौका मिला. इसरो में नियुक्ति के बाद वहीं से उन्होंने एमटेक भी किया. चंद्रयान-2 मिशन में अपनी भूमिका के बारे उन्होंने कहा कि यान के मेकनिकल व टेकनिकल पक्ष को वह व उनके नौ सहयोगी वैज्ञानिकों ने संभाला है. मिशन की गोपनीयता को ध्यान में रखते इससे ज्यादा वह कुछ नहीं बता पाये.
रौशन के पिता का कहना है कि वह जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं. उनका बेटा चांद पर यान भेजने के लिए काम करेगा, ऐसा उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था. आज उन्हें अपने बेटे पर गर्व हो रहा है. वहीं देश के इस रत्न को जन्म देने वाली उनकी मां अनिशा बीबी इस तरह के सवालों पर सिर्फ हंसती हैं. रौशन को बचपन से पढ़ाने वाले उसके मामा गुलाम रब्बानी ने कहा वह विज्ञान के शिक्षक है.
उन्होंने बताया कि उनका भांजा बचपन से ही मेधावी रहा है. गांव व परिवार की प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ते हुए उसने अपनी पढ़ाई पूरी की. व आज इतिहास का हिस्सा बना. वहीं पूरा रामनगर अपने चांद से बेटे के गांव लौटने का इंतजार कर रहा है.

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