बोले श्यामा प्रसाद के भतीजे चित्ततोष मुखर्जी
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अनुच्छेद 370 ने दिया वैमनस्य को बढ़ावा
बोले श्यामा प्रसाद के भतीजे चित्ततोष मुखर्जी कोलकाता : भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के भतीजे चित्ततोष मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान लोगों में ‘‘वैमनस्य को बढ़ावा’ दे रहे थे और उन्हें बदले जाने की जरूरत थी. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों […]
कोलकाता : भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के भतीजे चित्ततोष मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान लोगों में ‘‘वैमनस्य को बढ़ावा’ दे रहे थे और उन्हें बदले जाने की जरूरत थी. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाये जाने पर खुशी जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मुखर्जी ने कहा कि उनके चाचा ने इसी मुद्दे पर अपना बलिदान दिया था और यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था.
मुखर्जी ने कहा : अनुच्छेद 370 के अलग प्रावधान लोगों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा दे रहे थे. इसलिए इन्हें बदले जाने की जरूरत थी.’ 90 वर्षीय मुखर्जी ने कहा कि विशेष प्रावधान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों के लिए ‘काफी हद तक जिम्मेदार’ थे. केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले अनुच्छेद 370 को सोमवार को समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का प्रस्ताव दिया था. कलकत्ता उच्च न्यायालय और बम्बई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुखर्जी ने दावा किया कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना अवैध या असंवैधानिक नहीं है.
उन्होंने कहा : यह (अनुच्छेद 370) एक अस्थायी प्रावधान है. यह संविधान के एक हिस्से में दिखायी देता है, लेकिन स्थायी नहीं है. उन्होंने कहा : संविधान का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, एक वादे का उल्लंघन हो सकता है, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू (प्रथम प्रधानमंत्री) द्वारा किया गया हो सकता है. मुखर्जी ने कहा कि हालात बदल गये हैं, जिससे जम्मू और कश्मीर में भारतीय कानूनों को लागू करने की आवश्यकता हुई, लेकिन उन्होंने कहा कि क्या ऐसा करने का यह उपयुक्त समय है. इस पर अपनी अलग-अलग राय हो सकती है.
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर एक चुनौतीपूर्ण स्थिति में भारत में सम्मिलित हुआ और ‘विशेष’ परिस्थितियों में ये प्रावधान संविधान में आये. उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ रह रहे थे जब उन्होंने (श्यामा प्रसाद मुखर्जी) जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों का विरोध करने का फैसला किया था. इसके बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर भारतीय जन संघ की स्थापना की.
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