फ्रेट कॉरिडोर का काम अधर में लटका, मुख्यमंत्री ममता ने लिखी रेल मंत्री को चिट्ठी

– फ्रेट कॉरिडोर के पूर्वी हिस्से के कार्य के अधर में लटकने की शिकायत की कोलकाता : राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर डानकुनी से लुधियाना तक के फ्रेट कॉरीडोर का काम बंद होने की शिकायत की है. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि वह केंद्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2019 10:10 PM

– फ्रेट कॉरिडोर के पूर्वी हिस्से के कार्य के अधर में लटकने की शिकायत की

कोलकाता : राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर डानकुनी से लुधियाना तक के फ्रेट कॉरीडोर का काम बंद होने की शिकायत की है. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि वह केंद्र के आधारभूत ढांचे की नीति में पूर्वी भारत और पश्चिम बंगाल के संबंध में मौजूदा स्थिति की ओर से ध्यान दिलाना चाहती हैं.

उन्होंने लिखा है कि इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (इडीएफसी) कार्गो की गतिविधि के लिए के लिए लाइफलाइन साबित होने वाला है. विश्व बैंक द्वारा इस परियोजना को सहायता प्रदान की जा रही है. इसके चालू हो जाने से न केवल कार्गो गतिविधि आसान हो जायेगी, बल्कि यात्रियों का रेल मार्ग अलग होने से यात्रियों के लिए रेल यात्रा भी सुगम होगी. उत्तर भारत में इडीएफसी 1192 किलोमीटर तक लुधियाना से मुगलसराय तक फैला है.

मुगलसराय से उसका दूसरा चरण, 126 किलोमीटर दूर बिहार के सोन नगर में है. हालांकि आश्चर्यजनक रूप से सोन नगर से पश्चिम बंगाल के डानकुनी तक का उसका पूर्वी भारत में विस्तार जो कि 538 किलोमीटर तक है, वह अनिश्चित हो गया है. भारतीय रेलवे ने इस तीसरे चरण के लिए राज्य सरकार की मदद ली थी.

पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले ही 70 फीसदी जमीन अधिग्रहित कर ली है और 60 फीसदी जमीन सौंप भी दी गयी है, लेकिन जहां पहले दो चरण भारतीय रेलवे द्वारा डायरेक्ट पब्लिक-सरकार मोड में क्रियान्वित किये जा रहे हैं, वहीं पश्चिम बंगाल का तीसरा चरण पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में क्रियान्वित किया जाना अपेक्षित है.

अधिकांश जमीन को राज्य सरकार ने अधिग्रहित कर लिया है. लेकिन भारत सरकार ने सोन नगर से डानकुनी तक के चरण के क्रियान्वयन के लिए अब तक किसी सटीक उपाय पर फैसला नहीं किया है.

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि फ्रेट कॉरिडोर, देश के औद्योगिक-आधारभूत ढांचे के लिए भविष्य की रीढ़ की हड्डी होगा. पश्चिमी कॉरीडोर 2021 तक पूरा हो जाने की अपेक्षा है लेकिन पूर्वी कॉरीडोर, विशेषकर पश्चिम बंगाल के चरण का भविष्य अधर में लटका हुआ है. मुख्यमंत्री ने रेलमंत्री से इस दिशा में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.

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