जुर्माना देकर अवैध निर्माण नहीं होंगे वैध : हाइकोर्ट
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने कोलकाता नगर निगम को निर्देश दिया है कि वह जुर्माना लेकर अवैध निर्माण को वैध नहीं ठहरा सकती. उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. न्यायाधीश सौमित्र पाल की अदालत ने यह फैसला सुनाया है. साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि फैसले की कॉपी मिलने के चार […]
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने कोलकाता नगर निगम को निर्देश दिया है कि वह जुर्माना लेकर अवैध निर्माण को वैध नहीं ठहरा सकती. उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. न्यायाधीश सौमित्र पाल की अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि फैसले की कॉपी मिलने के चार हफ्ते के भीतर सभी अवैध निर्माण को तोड़ देना होगा. इसके अलावा मामला दायर करने वाले आवेदनकारियों को पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी अवैध निर्माण करने वालों को चुकाना होगा.
उल्लेखनीय है कि कोलकाता नगर निगम की ओर से वर्ष 2010 के 13 अक्तूबर को एक सकरुलर निकाला गया था जिसमें कहा गया था कि कोलकाता नगर निगम के नक्शे से मामूली फर्क वाला निर्माण को जुर्माना देकर वैध किया जा सकता है.
इस आदेश को आधिकारिक रूप से वर्ष 2013 के 31 मई को पास किया गया था. इसमें कहा गया था कि बदले नक्शे पर कोलकाता नगर निगम द्वारा अनुमोदित इंजीनियर के हस्ताक्षर व जुर्माने की रकम को अदा करके निर्माण को वैध कराया जा सकता है.
कोलकाता नगर निगम का कहना था कि कारपोरेशन के 1980 के कानून की धारा 400 के तहत जुर्माना लेकर वह अवैध निर्माण को वैध करार दे सकती है. हालांकि दिव्येंदू धर व अन्य याचिकाकर्ताओं का कहना था कि निगम ऐसा नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट ने भी कैंपा कोला सोसाइटी के मामले में यह स्पष्ट कर दिया है.
कलकत्ता हाइकोर्ट में चल रहे इस मामले में कोलकाता का एक नर्सिग होम भी पार्टी बन गया. उसका आरोप था कि कोलकाता नगर निगम ने उसके निर्माण को वैध ठहराने के लिए एक करोड़ रुपये का जुर्माना मांगा है.
जबकि उसके कुल निर्माण में ही इतने रुपये खर्च नहीं हुए हैं. निगम अपनी मरजी के मुताबिक जुर्माना वसूल रही है. शुक्रवार के फैसले से उक्त नर्सिग होम की याचिका भी खारिज हो गयी. यानी अब किसी किस्म का जुर्माना देकर अवैध निर्माण को वैध नहीं कराया जा सकता.
वर्तमान मामले में 14 निर्माण के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की गयी थी. इधर कोलकाता नगर निगम के वकील आलोक कुमार घोष ने कहा है कि अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अवैध निर्माण को वैध की प्रक्रिया अब नहीं चल सकती. लेकिन जिन्हें पहले ही वैध करार दिया जा चुका है वह इस दायरे में नहीं आयेंगे. जुर्माना देकर वैध कराने वाले लंबित सभी आवेदन रद्द हो जायेंगे.