मोहम्मद रफी के वो तीन गाने जो खुद उन्हें सर्वाधिक पसंद थे

कोलकाता : फिल्मी गानों के जरिए अगर किसी ने संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज किया है तो नि:संदेह उनमें मोहम्मद रफी का नाम सबसे ऊंचे पायदान पर होगा. उनके निधन के 39 वर्ष भले ही बीत गये हों उनके हजारों गानों के दीवाने आज भी दिखते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 15, 2019 1:37 AM

कोलकाता : फिल्मी गानों के जरिए अगर किसी ने संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज किया है तो नि:संदेह उनमें मोहम्मद रफी का नाम सबसे ऊंचे पायदान पर होगा. उनके निधन के 39 वर्ष भले ही बीत गये हों उनके हजारों गानों के दीवाने आज भी दिखते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अपने हजारों गानों में खुद मोहम्मद रफी को सबसे प्रिय कौन-कौन से गाने थे?

इसका राज खुद मोहम्मद रफी के बेेटे मोहम्मद शाहिद रफी ने खोला है. शाहिद बताते हैं कि खुद मोहम्मद रफी ने अपनी जुबान से यह कभी नहीं कहां कि उन्हें अपने कौन से गाने सबसे अधिक पसंद हैं, लेकिन इसका अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है. वह बताते हैं कि 1979 में मोहम्मद रफी ने शो के लिए करीब दो महीने का टुअर किया था. यह दौरा अमेरिका, कनाडा और यूरोप में हुआ था.

इसमें करीब 15 शो हुए थे. शो के दौरान कभी उनसे विशिष्ट गाने की फरमाइश हो या न हो, वह तीन गाने हमेशा गाते थे. इनमें, ‘ओ दुनिया के रखवाले..’, ‘ सुहानी रात ढल चुकी…’, और ‘मधुबन में राधिका नाचे..’ शामिल हैं. शाहिद कहते हैं कि ऐसा कोई शो नहीं जहां मोहम्मद रफी इन गानों को न गाया हो. मोहम्मद रफी की आदतों का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि उनके अब्बा अधिकांश समय परिवार के साथ ही बिताना पसंद करते थे. गाने की रिकॉर्डिंग न हो तो वह घर में ही बच्चों के साथ रहते थे.

अगर किसी की शादी में जाना भी पड़े तो गिफ्ट पकड़ाकर तुरंत निकल आते थे. शादी से आकर खाना वह घर में खाते थे. इसके अलावा उन्हें कैरम खेलने, पतंग उड़ाने का भी काफी शौक था. वह बताते हैं कि मुंबई में रोजाना सुबह-सबेरे दिलीप कुमार, नौशाद, शकील बदायुनी और आनंद बक्शी के साथ वह बैडमिंटन खेलने जिमखाना क्लब जाते थे.

लता मंगेशकर के साथ मोहम्मद रफी के विवाद पर मोहम्मद शाहिद ने कहा कि जो बातें बीत गयीं उनके संबंध में अधिक कहना ठीक नहीं लेकिन बात केवल इतनी थी कि रफी साहब केवल अपने गानों की रॉयल्टी से खुश थे वहीं अन्य कलाकार चाहते थे कि उनके गाने अगर कोई अन्य गाता है तो उसकी भी रॉयल्टी उन्हें मिले. रफी साहब इसके खिलाफ थे.

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