कोलकाता :बेटियों को देवी बना कर पूजें नहीं, उन्हें प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार और शिक्षा दिया जाना चाहिए. हमारे देश में पुरुषों की साक्षरता दर 82 प्रतिशत है और महिलाओं की लगभग 60 प्रतिशत, जिसमें 20 प्रतिशत का फर्क है. यह फर्क नहीं होना चाहिए.
लड़के और लड़कियों की शिक्षा में समानता होना बहुत जरूरी है, क्योंकि जब एक पुरुष शिक्षित होता है, तो वह अकेला शिक्षित होता है, जबकि एक महिला पूरे परिवार को शिक्षित करती है. ये बातें सोमवार को स्कीपर फाउंडेशन की ओर से 1336 बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करते हुए पूर्व राष्ट्रपति व भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने बेटी पढ़ाओ अभियान कार्यक्रम में कहीं.
उन्होंने विश्वगुरु रवींद्र ठाकुर की रचना चित्रांगदा नाटक में चित्रांगदा के अर्जुन से हुए प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि उसने स्वयं को देवी या रानी के रूप में नहीं, बल्कि अपने साथी के रूप में स्वीकार करने और समान अधिकार देने की मांग की है, जो सभी नारी के लिए है. उन्होंने कहा कि देश की अच्छी अर्थव्यवस्था के लिए शिक्षा बुनियाद है और हर लड़की इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है.
सभी क्षेत्रों में सामंजस्य लाने के लिए लैंगिक समानता और महिलाओं की प्रगति आवश्यक है. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले वह बीएसएफ के कैंप उद्घाटन में गये थे, जहां सर्वोच्च अधिकारी एक महिला थी. उन्होंने बताया कि आज बेटियों का योगदान हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. हमें मात्र उनका समर्थन करने की आवश्यकता है.