केंद्र सरकार की वजह से राज्य में चिकित्सकों की कमी : ममता
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दी जानकारी कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि राज्य में चिकित्सकों की भारी कमी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू तौर पर लोगों को नहीं मिल पा रही है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को जिम्मेवार ठहराया है. विधानसभा में प्रश्नोत्तर सत्र […]
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दी जानकारी
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि राज्य में चिकित्सकों की भारी कमी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू तौर पर लोगों को नहीं मिल पा रही है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को जिम्मेवार ठहराया है.
विधानसभा में प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य भर में चिकित्सकों की भारी कमी है, क्योंकि बंगाल की जरूरतों के मुताबिक चिकित्सक नहीं दिये जा रहे हैं. शुक्रवार को विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के विधायक समीर कुमार जाना ने राज्य स्वास्थ्य विभाग में मौजूद रिक्त पदों की संख्या और वेस्ट बंगाल हेल्थ रिक्रूटमेंट बोर्ड के जरिए नियुक्ति प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा.
इसके जवाब में स्वास्थ्य राज्यमंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि 2011 के बाद पश्चिम बंगाल में 6100 चिकित्सक, 15445 नर्स, 3355 एटेंडेंट की नियुक्ति हुई है. पहले एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए पश्चिम बंगाल में सीटों की कुल संख्या 1155 थी, जो अब बढ़ कर 3650 हो गयी है. बीडीएस (दंत चिकित्सा) अगर जोड़ दिया जाये तो यह बढ़ कर 4250 हो गयी है. 2013 के बाद से वेस्ट बंगाल हेल्थ रिक्रूटमेंट बोर्ड के जरिए स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति हो रही है.
उन्होंने दावा किया कि पहले मेडिकल की पढ़ाई करने वाले पांच फीसदी चिकित्सक ही सरकारी नौकरी करना पसंद करते थे, लेकिन अब 50 फीसदी पसंद करते हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने पश्चिम बंगाल में कई मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की है. पहले चाइल्ड हॉस्पिटल की संख्या महज छह थी, अब राज्य भर के विभिन्न अस्पतालों में 300 से अधिक सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट की स्थापना की गयी है. मदर एंड चाइल्ड हब की संख्या 16 है, लेकिन केंद्र सरकार की वजह से बंगाल में चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में छात्रों को चिकित्सकीय पठन-पाठन की सुविधा देने में भी केंद्र सरकार भेदभाव करती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल की जरूरत के अनुसार हम लोगों ने केंद्र सरकार से 820 चिकित्सकों की नियुक्ति की मांग की थी, लेकिन काउंसेलिंग के जरिए महज 101 चिकित्सकों को भेजा गया. उनमें से भी केवल 39 चिकित्सकों ने नौकरी ज्वाइन की. एक चिकित्सक की पढ़ाई पूरी करने में 25 से 30 लाख रुपये खर्च होते हैं. उन्हें प्रशिक्षण देकर उनकी दक्षता बढ़ानी पड़ती है.
ममता ने कहा कि विभिन्न अस्पतालों में 27 हजार बेड बढ़ाये गये हैं, लेकिन चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि धुबूलिया, भांगड़, कर्सियांग में तीन अस्पताल बनाने के लिए का टेंडर जारी किया गया है.