लिंचिंग रोकथाम विधेयक बंगाल विधानसभा में पारित : दोषी साबित होने पर हो सकती है मौत की सजा

कोलकाता : भीड़ द्वारा हमला और लिंचिंग (पीटकर हत्या) करने जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए शुक्रवार को राज्य विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया और इन्हें अपराध की श्रेणी में डाला गया है. इसके तहत आइपीसी की धारा से भी सख्त कानून बनाया गया है. मॉब लिंचिंग की घटना में अगर किसी की मौत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2019 7:57 AM

कोलकाता : भीड़ द्वारा हमला और लिंचिंग (पीटकर हत्या) करने जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए शुक्रवार को राज्य विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया और इन्हें अपराध की श्रेणी में डाला गया है. इसके तहत आइपीसी की धारा से भी सख्त कानून बनाया गया है. मॉब लिंचिंग की घटना में अगर किसी की मौत होती है और आरोपियों का दोष साबित हो जाता है, तो उन्हें मौत की सजा भी दी जा सकती है.

शुक्रवार को राज्य के संसदीय कार्य मंत्री डॉ पार्थ चटर्जी ने सदन में पश्चिम बंगाल (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक, 2019 पेश किया, जिसका विपक्षी दलों माकपा और कांग्रेस ने समर्थन किया. हालांकि, माकपा के विधायक दल के नेता डॉ सुजन चक्रवर्ती ने इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की थी, लेकिन उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया.

वहीं, राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी भाजपा ने इस विधेयक का न तो समर्थन किया, और न ही विरोध. भाजपा के विधायक स्वाधीन कुमार सरकार ने इसके क्रियान्वयन व उपयोग पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिन परिस्थितियों में यह विधेयक पेश कर रही है, उसे देख कर ऐसा लगता है कि इस कानून का उपयोग राजनीतिक तौर पर फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.

विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन में कहा : असहाय लोगों के लिए यह विधेयक रक्षा कवच है. मॉब लिंचिंग के नाम पर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. समाज का एक वर्ग व एक विशेष राजनीतिक पार्टी के समर्थक अल्पसंख्यक व दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं. ऐसी घटनाओं को हमारी सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.

मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए बनेगी योजना
: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटना के पीड़ित व परिवार को राज्य सरकार की ओर से आर्थिक मुआवजा भी दिया जायेगा. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा एक विशेष योजना बनायी जायेगी. उन्होंने कहा कि अभी तक राशि तय नहीं की गयी है. लेकिन इतना जरूर कहना चाहेंगी कि अगर किसी व्यक्ति की मौत होती है, तो पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा राशि पांच लाख रुपये से कम नहीं होगी. साथ ही घायलों को भी मुआवजा दिया जायेगा.

विधेयक के अनुसार सजा के प्रावधान : इस नये कानून के अनुसार, सामूहिक पिटाई में घायल होने पर आरोपियों को तीन साल तक का कारावास व एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा. वहीं, सामूहिक पिटाई में गंभीर रूप से घायल होने पर आरोपियों को आजीवन कारावास व तीन लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा. मॉब लिंचिंग में अगर किसी मौत होती है और आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है, तो उन्हें मृत्युदंड या उम्रकैद की सजा होगी और साथ ही पांच लाख रुपये तक का जुर्माना अदा करना होगा.

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