कोलकाता : पुलिस कमिश्नर हाथ में लाठी लेकर दौड़ रहे हैं. सांसद का सिर फोड़ रहे हैं और खुलेआम बंदूक लेकर फायरिंग कर रहे हैं. यह नजारा कहीं और का नहीं, बल्कि कोलकाता के करीब बैरकपुर जैसे इलाके का है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि हम लोग किस प्रदेश में रह रहे हैं और ये कैसी पुलिस है?
यह बात भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कही. श्री घोष सांसद अर्जुन सिंह पर हुए कथित पुलिस हमले की घटना के बाद अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि एक मुहल्ले में झगड़ा होता है, उसको संभालने में पुलिस विफल होती है और बौखलाहट में इस तरह की हरकत करती है. इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है. लिहाजा भाजपा के कार्यकर्ता इस सरकार और निकम्मी पुलिस के खिलाफ राज्य भर में धरना प्रर्दशन कर अपने विरोध का इजहार कर रहे हैं.
उन्होंने पुलिस की भूमिका पर चुटकी लेते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की रक्षा करने की बजाय पुलिस का काम वर्दी पहन कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सरेआम पैर छूना और प्रसाद के नाम पर बिस्कुट ग्रहण करना है, ताकि मनपसंद जगह पर पोस्टिंग और प्रमोशन मिल सके. इस तरह की हरकत करनेवाली पुलिस से निष्पक्षता और सुशासन की उम्मीद करना ही बेमानी है. यही वजह है कि बैरकपुर में निकम्मी पुलिस जनप्रतिनिधियों के साथ मीडियाकर्मियों के साथ मारपीट करती है.
उन्होंने कहा कि अर्जुन सिंह इलाके के सांसद हैं. उनके इलाके में अगर उनकी पार्टी का कार्यालय कोई दखल करना चाहेगा तो उसका वह विरोध करेंगे यह तो स्वाभाविक है. वह खड़ा होकर तमाशा तो देखेंगे नहीं. जब वह अपनी पार्टी का कार्यालय बचाने गये तो पुलिस तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता की भूमिका में नजर आयी. पुलिस उनका सर फोड़ दी. पुलिस के बचाव में राज्य के खाद्य मंत्री उतरते हुए कहते हैं कि अर्जुन सिंह नाटक कर रहे हैं. वह अपने ही लोगों से अपना सिर फोड़वा ले रहे हैं.
आरोप लगाया जा रहा है कि झारखंड व बिहार से गुंडा बुला कर माहौल को अशांत किया जा रहा है. दिलीप घोष ने कहा कि आरोप लगानेवाले वही हैं जो कल तक अर्जुन सिंह का गुणगान करते थे, क्योंकि वह तब तृणमूल कांग्रेस में थे, लेकिन भाजपा में आते ही वही अर्जुन सिंह खराब हो गये.
दिलीप ने कहा, हम लोग भी तैयार हैं तृणमूल कांग्रेस व पुलिस जिस भाषा को समझती है हम लोग उसी भाषा में जवाब देंगे.
संवाददाता सम्मेलन में दिलीप घोष ने राज्य के एडीजी ज्ञानवंत सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह कह रहे हैं कि पुलिस को अगर लाठी मारनी होती है तो वह शरीर पर मारती है, सिर पर नहीं. सांसद अर्जुन सिंह का सिर उनके ही समर्थकों द्वारा फेंके गये पत्थर से फटा है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब मौके पर ज्ञनवंत सिंह मौजूद नहीं थे तो वह कैसे दावे के साथ इस तरह का बयान दे रहे हैं. क्या एक मुहल्ले में हो रहे हंगामे को संभालने में पुलिस को बंदूक निकालना पड़ता है और हवाई फायरिंग करनी पड़ती है तो उस पुलिस को किस आधार पर वह प्रमाण पत्र दे रहे हैं.