एएमआर पर साथ काम करेंगे भारत-अमेरिका
नेशनल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस हब का किया उद्घाटन कोलकाता : भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ इयान जस्टर ने नेशनल एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस हब का उद्घाटन किया. बेलियाघाटा के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलेरा एंड एंटेरिक डिजीज के कैंपस में फिलहाल यह हब काम करेगा. जल्द ही एक बड़े संस्थान के तौर पर इसे स्थापित किया जायेगा. इंडियन […]
नेशनल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस हब का किया उद्घाटन
कोलकाता : भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ इयान जस्टर ने नेशनल एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस हब का उद्घाटन किया. बेलियाघाटा के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलेरा एंड एंटेरिक डिजीज के कैंपस में फिलहाल यह हब काम करेगा. जल्द ही एक बड़े संस्थान के तौर पर इसे स्थापित किया जायेगा.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के साथ मिल कर अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से यह स्थापित किया जा रहा है. यह हब एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस पर देशव्यापी शोध करने के अलावा नीति निर्धारकों के लिए नीतिगत डॉक्यूमेंट बनायेगा तथा फार्मा उद्योग को नये ड्रग के विकास में मार्गदर्शन देगा. उद्घाटन समारोह में केनेथ जस्टर के अलावा आइसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव भी उपस्थित थे.
केनेथ जस्टर ने कहा कि एंटीबायोटिक से भी निष्प्रभावी बैक्टीरिया, जिन्हें सुपरबग कहा जाता है, वर्तमान में समूचे विश्व के लिए चिंता का विषय बने हैं. भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का यह एक प्रमुख मुद्दा है. इससे निपटने के लिए वैश्विक गंठजोड़ जरूरी है. उन्होंने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस(एएमआर) स्वास्थ्य, खाद्य और जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. पिछले 40 वर्षों में इससे निपटने के लिए कोई नया ड्रग सामने नहीं आया है. अगर इससे तत्काल नहीं निपटा गया तो हम एंटीबायोटिक के पूर्व के युग में पहुंच सकते हैं, जबकि सामान्य बीमारियों से लोगों की जान चली जाती थी.
एएमआर की वजह से विश्वभर में सालाना सात लाख मौतें होती हैं. एक आंकलन के मुताबिक यदि इसकी रोकथाम न हुई तो वर्ष 2050 तक वैश्विक जीडीपी का 3.8 प्रतिशत इसकी वजह से प्रभावित हो जायेगा. भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में एएमआर का खतरा अधिक दिखता है. केनेथ जस्टर ने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी एएमआर को प्राथमिकता दे रहा है.