”डीयू में पुलिस घुस सकती है तो जेयू में क्यों नहीं”

कोलकाता : प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष ने जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति सुरंजन दास द्वारा विश्वविद्यालय में पुलिस घुसने नहीं देने के निर्णय पर सवाल उठाते कहा कि जब दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में पुलिस घुस सकती है, तो फिर जादवपुर विश्वविद्यालय जहां छात्र राष्ट्रविरोधी, समाजविरोधी और अपराधिक कार्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2019 5:18 AM

कोलकाता : प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष ने जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति सुरंजन दास द्वारा विश्वविद्यालय में पुलिस घुसने नहीं देने के निर्णय पर सवाल उठाते कहा कि जब दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में पुलिस घुस सकती है, तो फिर जादवपुर विश्वविद्यालय जहां छात्र राष्ट्रविरोधी, समाजविरोधी और अपराधिक कार्य कर रहे थे. एक केंद्रीय मंत्री को बंदी बना कर रखे हुए थे. उनके बाल खींचे जा रहे थे.

छात्राएं जिस तरह का व्यवहार कर ही थीं. वह किसी भी सभ्य समाज में शोभनीय नहीं है. मंत्री के जान पर खतरा था. उन्हें जान से मारने की कोशिश की गयी थी तो फिर पुलिस को विश्वविद्यालय में प्रवेश करने की अनुमति क्यों नहीं दी गयी. उन्होंने कहा कि जहां भी कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती है, वहां पुलिस को जाने का अधिकार है और जादवपुर विश्वविद्यालय की कानून व्यवस्था की स्थिति खराब थी. वहां पुलिस को जाने से कोई नहीं रोक सकता था, फिर पुलिस को अंदर क्यों नहीं बुलाया गया.

आम जनता के लिए पुलिस की तरफ से यह प्रावधान है कि अगर वह कभी भी, कहीं भी, मुसीबत में फंसती है तो सिर्फ 100 नंबर पर फोन करने पर उन्हें तुरंत पुलिस की मदद मिल जायेगी, लेकिन अगर जादवपुर विश्वविद्यालय कैंपस में कोई मुसीबत में फंसता तो वह डायल 100 से पुलिस की मदद नहीं ले सकता, क्योंकि पुलिस पर वहां प्रतिबंध लगा हुआ है. यह बेमानी है. गुरुवार की रात को जादवपुर में स्थिति इससे भी ज्यादा सोचनीय थी. वहां एक केंद्रीय मंत्री लगभग छह घंटे से फंसे थे, वह छात्रों के हाथों बदसलूकी के शिकार हो रहे थे. इसके बावजूद वहां के कुलपति सुरंजन दास पुलिस नहीं बुलाने के अपने फैसले पर अड़े रहे.

इसके कारण परिस्थिति समय के साथ-साथ और भयावह आकार लेती गयी. जहां आम जनता को मुसीबत की घड़ी में पुलिस से मदद लेने का हक दिया हुआ है, उस स्थिति में वहां के कुलपति ने स्थिति की गंभीरता क्यों नहीं समझी. कुलपति ने इसके पीछे तर्क दिया है कि पुलिस बुलाने के लिए उन्हें गृहसचिव की इजाजत लेनी होगी. जहां एक मंत्री की जान को खतरा था, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जगदीप धनखड़ ने भी पुलिस बुलाने का आदेश दिया था, इसके बावजूद कुलपति ने पुलिस को खबर क्यों नहीं दी. कुलपति का यह फैसला किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है.

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