पश्चिम बंगाल : राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी में मचा घमसान
– सिलीगुड़ी में राज्यपाल की बैठक से नादारद रहे मंत्री व प्रशासन ।। अजय विद्यार्थी ।। कोलकाता : जादवपुर विश्वविद्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो पर हमले के मद्देनजर राज्यपाल जगदीप धनखड़ के विश्वविद्यालय परिसर में जाने के बाद राज्यपाल और ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के बीच टकराव और भी तेज […]
– सिलीगुड़ी में राज्यपाल की बैठक से नादारद रहे मंत्री व प्रशासन
।। अजय विद्यार्थी ।।
कोलकाता : जादवपुर विश्वविद्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो पर हमले के मद्देनजर राज्यपाल जगदीप धनखड़ के विश्वविद्यालय परिसर में जाने के बाद राज्यपाल और ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के बीच टकराव और भी तेज हो गया है. मंगलवार को सिलीगुड़ी में राज्यपाल की बैठक में राज्य के मंत्री गौतम देव के साथ-साथ जिला के जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अनुस्थित रहें.
राज्यपाल ने उनकी अनुपस्थिति पर नाराजगी जताते हुए कहा, राज्यपाल के रूप में सिलीगुड़ी का उनका पहला दौरा था, लेकिन बैठक में राज्य सरकार के मंत्री, जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित नहीं थे. हो सकता है, उनके पास जायज कारण हो. लेकिन जब एक राज्यपाल दौरा पर आ रहा है तो उन्हें उपस्थित रहना चाहिए थे. राज्य सरकार का ठंडा रवैया चिंता का विषय है. यह बंगाल की संस्कृति नहीं है.
यह पूछे जाने पर क्या वह अति सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि वह अति सक्रिय नहीं, वरन सक्रिय हैं और अपने संवैधानिक दायित्व के अनुसार ही वह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह राज्य के हर जिले का दौरा करेंगे और बैठक करेंगे, चाहे कोई बैठक में आये या नहीं. लेकिन दौरा करेंगे. दूसरी ओर, राज्यपाल जगदीप धनखड़ के सिलीगुड़ी में बैठक व बयान पर तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उनसे शांत रहने की अपील की है.
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव व राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने जारी बयान में कहा, नये राज्यपाल के रूप में नियुक्त किये जाने के 15 दिनों के भीतर उन्होंने सरकारी अधिकारियों और सरकारी विभागों के खिलाफ राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण बयान देकर खुद को उजागर कर दिया कि वह तटस्थ व्यक्ति नहीं हैं. हमारे संविधान के अनुसार, राज्य सरकार एक निर्वाचित निकाय है और केंद्र सरकार भी, जबकि राज्यपाल एक नामित पद है और निर्वाचित नहीं है.
संविधान के प्रावधान के अनुसार, न्यायालयों ने राज्य सरकार की भूमिका और राज्यपाल की भूमिका निर्धारित की है. उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल एक खूबसूरत राज्य है. राज्यपाल को पश्चिम बंगाल में सुंदर स्थानों का दौरा करना चाहिए और राज्य सरकार के आतिथ्य का आनंद लेना चाहिए. यह वांछनीय है.
उन्होंने कहा, यह वांछनीय नहीं है कि संवैधानिक पद है, जो अनावश्यक रूप से अति-सक्रिय हो रहा है और सरकारी मामलों और सरकारी अधिकारियों के सभी मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है. उन्होंने कहा, राज्यपाल को संवैधानिक क्षेत्राधिकार का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और हर रोज राजनीतिक नौटंकी से बचना चाहिए. हमारी तृणमूल कांग्रेस सरकार लोगों की सरकार है और यह पता है कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. उन्होंने अंत में कहा, कृपया शांति बनाये रखें.