सारधा घोटाला : कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार ने कोर्ट में किया सरेंडर

कोलकाता : करीब तीन हफ्ते तक सीबीआइ को छकाने के बाद कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने गुरुवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया. सारधा चिटफंड घोटाला मामले में फरार चल रहे आइपीएस अधिकारी को अलीपुर कोर्ट ने 50-50 हजार रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दे दी. कलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को कुमार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2019 5:27 PM

कोलकाता : करीब तीन हफ्ते तक सीबीआइ को छकाने के बाद कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने गुरुवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया. सारधा चिटफंड घोटाला मामले में फरार चल रहे आइपीएस अधिकारी को अलीपुर कोर्ट ने 50-50 हजार रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दे दी.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को कुमार को अग्रिम जमानत दे दी थी. कुमार फिलहाल पश्चिम बंगाल के अपराध अन्वेषण विभाग में अतिरिक्त महानिदेशक हैं. यह उल्लेख करते हुए कि यह हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए उचित मामला नहीं है, हाइकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा था कि कुमार को अगर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) द्वारा गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें उचित अदालत द्वारा 50-50 हजार रुपये की दो जमानत राशियों पर तत्काल रिहा करना होगा.

राजीव कुमार के वकील गोपाल हल्दर ने बताया कि वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी ने गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत मुखर्जी के समक्ष आत्मसमर्पण किया और हाइकोर्ट के आदेश के मुताबिक उन्हें जमानत दे दी गयी. केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने कुमार की तलाश में बीते तीन हफ्तों में कोलकाता और उसके आसपास के इलाकों में कुछ ठिकानों पर छापेमारी की थी.

हाइकोर्ट की एकल पीठ ने कुमार को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने वाले अपने अंतरिम आदेश को 13 सितंबर को वापस ले लिया था, जिसके बाद से कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर और वर्तमान में पश्चिम बंगाल के एडीजी (सीआइडी) का पता नहीं चल रहा था. सारधा समूह की कंपनियों ने कथित तौर पर लाखों लोगों को उनके निवेश पर उच्च लाभ का झांसा देकर करीब ढाई हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया था.

आइपीएस अधिकारी राजीव कुमार बंगाल सरकार द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) का हिस्सा थे. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में चिट फंड से जुड़े दूसरे मामलों के साथ ही इस मामले की जांच भी सीबीआइ को सौंप दी थी. यह घोटाला वर्ष 2013 में तब उजागर हुआ था, जब कुमार बिधाननगर के पुलिस आयुक्त थे. सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुमार से शिलांग में इस मामले में पांच दिन तक पूछताछ की थी.

Next Article

Exit mobile version