जगत मुखर्जी पार्क पूजा कमेटी के सदस्यों की शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए नायाब पहल
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उत्तर कोलकाता के एक मंडप में हर बच्चे को मिलेगी मैजिक पेंसिल
जगत मुखर्जी पार्क पूजा कमेटी के सदस्यों की शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए नायाब पहल पेंसिल से लिखने के बाद बचे अंतिम हिस्से को फेंकने के बजाय किसी टब में या पास के बगीचे में मिट्टी में रोपने का करेंगे आग्रह कमेटी के सदस्यों का दावा : मिट्टी में रोपे गये हर एक […]
पेंसिल से लिखने के बाद बचे अंतिम हिस्से को फेंकने के बजाय किसी टब में या पास के बगीचे में मिट्टी में रोपने का करेंगे आग्रह
कमेटी के सदस्यों का दावा : मिट्टी में रोपे गये हर एक पेंसिल के हिस्से से निकलेगा पौधा
कोलकाता : दुर्गापूजा के दौरान शहर के कोने-कोने से आये लोगों से सीधे संपर्क कर उन तक अपना संदेश पहुंचाया जा सकता है. इसी मौके का उत्तर कोलकाता की जगत मुखर्जी पार्क दुर्गापूजा कमेटी बच्चों को शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित करने के लिए उपयोग कर रही है. कमेटी के सदस्य सोनाई सरकार ने बताया, हमने अपने मंडप में इस बार मंदिरों की नगरी बनारस को उतारने की कोशिश की है. मंडप में आनेवाले दर्शनार्थियों को बनारस के दशाश्वमेध घाट के दर्शन होंगे. विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ वे मंडप में लाइव आरती भी कर सकते हैं. कमेटी के सदस्यों ने इस बार मंडप में शिक्षा के साथ पर्यावरण रक्षा को लेकर नायाब पहल की है.
मंडप में आनेवाले हर बच्चे को मिलेगी पोलैंड की मैजिक पेंसिल
श्री सरकार ने बताया, हमने इस पूजा को और यादगार बनाने व पर्यावरण रक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए एक खास कदम उठाया है. हम इस बार मंडप में आनेवाले उन दर्शनार्थियों को चुन रहे हैं, जिनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हो. हम मंडप में उन बच्चों को एक मैजिक पेंसिल भेंट कर रहे हैं. इस पेंसिल को पोलैंड से मंगवाया गया है. यह पेंसिल वहां सिर्फ बच्चों में ही नहीं, बल्कि उनके अभिभावकों व वहां रहनेवाले प्रत्येक नागरिकों में शिड पेंसिल के नाम से काफी प्रसिद्ध है. बच्चे स्कूलों में इसी पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं, यही नहीं, दफ्तरों में कामकाज के दौरान इसी पेंसिल का वहां इस्तेमाल होता है. इस पेंसिल का अंतिम हिस्सा पर्यावरण को संतुलित बनाने में काफी मददगार होता है.
पेंसिल के शेष बचे हिस्से को मिट्टी में रोपने पर निकलेगा पौधा
कमेटी के सदस्यों का कहना है, हम बच्चों के साथ मौजूद अभिभावकों को इस मैजिक पेंसिल की खासियत बता रहे हैं. उनसे आवेदन कर रहे हैं कि इस पेंसिल से लिखने के बाद शेष बचे इसके आखिरी हिस्से को घर में मौजूद मिट्टी के टब में या पास में मौजूद किसी बगीचे में मिट्टी में रोप दें. ऐसा करने पर कुछ दिनों बाद वे देखेंगे कि पेंसिल के बचे हिस्से को मिट्टी में रोपा गया था, वहां से एक पौधा निकल रहा है. देखते ही देखते वह विशाल आकार ले लेगा, जहां आज चारों तरफ पेड़ काटे जा रहे हैं, उनकी इस पहल से फिर से नये पेड़ जन्म लेने लगेंगे. कमेटी के सदस्यों का मानना है कि पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने में उनका यह प्रयास काफी कारगर साबित होगा. पंचमी से ही मंडप में बच्चों को यह पेंसिल भेंट की जा रही है.
हर घर में पेंसिल पहुंचाने की होगी कोशिश
सोनाई सरकार ने बताया कि पोलैंड में काफी पहले से पर्यावरण की रक्षा के लिए इस पेंसिल का प्रयोग किया जा रहा है. भारतीय बाजार में इस पेंसिल की कीमत 12 रुपये के करीब है. दुर्गापूजा में इसे शुरुआती प्रयोग के रूप में प्रत्येक बच्चों को भेंट किया जा रहा है. दिसंबर में कमेटी द्वारा इलाके में होनेवाले बड़े आयोजन के पहले प्रत्येक घरों में जाकर बच्चों को यह पेंसिल भेंट करेंगे, जिससे उनके इलाके में इस तरीके से वृक्षारोपन अभियान की शुरुआत हो सके.
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