बांग्लादेशी हिल्सा आने से बाजारों में छायी रौनक
कोलकाता : महानगर के बाजारों में पद्मा (बांग्लादेशी) हिल्सा मिलने से लोगों में काफी खुशी है. कीमत की परवाह किये बिना लोग पद्मा हिल्सा की खरीदारी कर रहे हैं. दरअसल, अबकी आषाढ़ और श्रावण मास में कम वर्षा होने के कारण बंगाल के लोग अपनी पसंदीदा हिल्सा मछली खाने से चूक गये थे. लेकिन पूजा […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
October 4, 2019 1:53 AM
कोलकाता : महानगर के बाजारों में पद्मा (बांग्लादेशी) हिल्सा मिलने से लोगों में काफी खुशी है. कीमत की परवाह किये बिना लोग पद्मा हिल्सा की खरीदारी कर रहे हैं. दरअसल, अबकी आषाढ़ और श्रावण मास में कम वर्षा होने के कारण बंगाल के लोग अपनी पसंदीदा हिल्सा मछली खाने से चूक गये थे.
लेकिन पूजा के दौरान बाजार में बांग्लादेशी हिल्सा के आने से वे खुश हैं. वहीं, बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने बांग्लादेश से भारत में हिल्सा के निर्यात को मंजूरी दे दी है. ऐसे में पूजा के दौरान यहां बांग्लादेश से करीब 500 टन हिल्सा का निर्यात किया जायेगा. हालांकि आधिकारिक रूप से 10 अक्तूबर तक बांग्लादेशी हिल्सा के यहां आने की बात कही गयी थी, लेकिन त्योहारी मौसम को देखते हुए इसे पहले ही भेज दिया गया है, ताकि त्योहार में यहां के लोग पद्मा नदी की हिलसा का स्वाद चख पायें.
बताया गया कि मंगलवार देर रात बेनापोल सीमा मार्ग के जरिये आठ ट्रक हिल्सा मछलियों को भेजा गया. वहीं, एक बांग्लादेशी मछली व्यापारी ने कहा कि दोनों देशों के बीच हमेशा से ही बेहतर रिश्ते रहे हैं और यही कारण है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर से आयत-निर्यात को मंजूरी दे दोनों देशों के रिश्ते को मजबूत करने की पहल की है, ताकि कारोबारी रिश्ते बेहतर व विकसित हों. स्थानीय मछली बाजारों की बात करें, तो गुरुवार को 1200 से 1400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से हिल्सा बिकी.
हावड़ा के एक मछली व्यवसायी ने बताया कि बंगाल की नदियों से हिल्सा मछलियों की संख्या में आ रही कमी के कारण ही रिटेल मार्केट में इसकी कीमत में बेतहाशा वृद्धि हुई है. विशेषज्ञों ने बताया कि वर्ष 2002-03 में हुगली में 62,600 टन हिल्सा पकड़ी गयी थीं, जबकि डेढ़ दशक बाद (2017-18) यह संख्या घटकर आधी 27,539 टन ही रह गयी. वहीं, इसी समयावधि में बांग्लादेश में हिल्सा की पैदावार बढ़कर 1,99,032 टन से 5,17,000 टन हो गयी.
गौरतलब है कि हिल्सा 30 से 40 फीट से कम गहरे पानी में प्रवेश नहीं करती हैं, लेकिन हुगली नदी में फरक्का बैराज के आस-पास ड्रेजिंग की कमी के कारण कम होती गहराई की वजह से छोटी मछलियां बांग्लादेश की तरफ निकल जा रही हैं.