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लक्ष्मीपति के प्रिय फल आंवला का दाम चढ़ा आसमान पर

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दो दिनों पहले 30 रुपये प्रति किलो बिक रहे वाले आंवले का दाम हुआ 100 रुपये प्रति किलो लक्ष्मी पूजा के साथ ही कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आंवले से विशेष पूजन का है विधान हावड़ा : दुर्गापूजा के बाद शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन पड़नेवाले कोजागरी लक्ष्मी पूजा का बंगाल में काफी […]

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  • दो दिनों पहले 30 रुपये प्रति किलो बिक रहे वाले आंवले का दाम हुआ 100 रुपये प्रति किलो
  • लक्ष्मी पूजा के साथ ही कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आंवले से विशेष पूजन का है विधान
हावड़ा : दुर्गापूजा के बाद शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन पड़नेवाले कोजागरी लक्ष्मी पूजा का बंगाल में काफी महत्व है. आमतौर पर दुर्गापूजा के बाद उसी पंडाल में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा रही है, लेकिल आज यह पूजा पश्चिम बंगाल के घर-घर में होने लगी है.दुर्गापूजा के विसर्जन के बाद की पूर्णिमा के दिन लोग मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं. इसे लेकर जनमानस में काफी उत्साह होता है. इसबार पूर्णिमा रविवार को पड़ने से शनिवार से ही लक्ष्मी पूजन की तैयारियां शुरू हो गयीं.
हालांकि इस दौरान मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु के प्रियफल आंवला का दाम आसमान छू रहा है, जो आंवला दो दिन पहले तक 30-40 रुपये किलो तक मिल रहा था वह शनिवार को अचानक 100 रुपया प्रति किलो की दर से बिकने लगा. आंवला के दाम में आयी तेजी से खरीदार हैरान हैं. हालांकि पूजन की खरीदारी करने पहुंचे लोंगो का कहना है कि लक्ष्मी पूजन में आंवला का विशेष महत्व है. लिहाजा इससे खरीदना जरूरी है.
फल विक्रेता राना दास का कहना है कि हर वर्ष लक्ष्मी पूजा के साथ ही बाजार में आंवला आता है. बंगाल में दुर्गापूजा के बाद होनेवाली लक्ष्मी पूजा में इस फल का इस्तेमाल होता है. लिहाजा दाम में काफी तेजी आ जाती है. हरोगंज बाजार की फल विक्रेता रेखा ने बताया कि दो दिन पहले तक बाजार में आंवले की कीमत 30 से 40 रुपये प्रति किलो थी.
पंडित दीनानाथ उपाध्याय ने बताया कि समुद्र मंथन में निकला आंवला बेहद गुणकारी होता है. इसमें भगवान विष्णु का वास होता है. इसीलिए यह मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है. दुर्गापूजा के बाद बंगाल में होने वाली लक्ष्मी पूजा में इस फल को विशेष तौर पर मां लक्ष्मी को चढ़ाये जाने के विधान है.
इसके साथ ही इस अमृत फल (आंवले) का कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी पर पूजा का विधान है. शास्त्रों में अक्षय नवमी का बहुत महत्व बताया गया है. अक्षय का अर्थ होता है- जिसका क्षरण न हो. इस पूजन को इच्छा नवमी, आंवला नवमी, कुष्मांड नवमी, आरोग्य नवमी और धातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना होती है.
कहते हैं अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठ कर भोजन बनाने और ग्रहण करने से घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है, लेकिन अगर आपके आसपास आंवले का पेड़ उपलब्ध न हो या फिर आंवले के पेड़ के नीचे बैठ कर भोजन करना आपके लिए संभव न हो, तो आप आज के दिन आंवले का फल खरीद कर जरूर खायें.

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