– नोबल विजेता अभिजीत की मां, निर्मला बंद्योपाध्याय अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्वित
कोलकाता : अर्थशास्त्र में इस वर्ष के नोबल पुरस्कार के संयुक्त विजेता अभिजीत विनायक बंद्योपाध्याय की मां, निर्मला बंद्योपाध्याय ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्व है. हालांकि पुरस्कार मिलने के बाद सोमवार शाम तक उनके बेटे का फोन उन्हें नहीं आया था. स्वयं भी अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी निर्मला बनर्जी ने कहा कि अभिजीत ने अर्थशास्त्र को थ्योरी से निकालकर उसे प्रैक्टिकल बनाया है.
उन्होंने बताया कि दोपहर करीब दो-ढाई बजे उनके छोटे बेटे ने उन्हें फोन किया था और अभिजीत के पुरस्कार की जानकारी दी. इसके बाद उन्होंने टीवी खोला और खबरों में इसका जिक्र देखा. श्रीमती बंद्योपाध्याय के मुताबिक अभिजीत केवल उनका नहीं बल्कि समूचे देश का बेटा है और उसकी उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है.
अपने बेटे के साथ होने वाली बातचीत के संबंध में उन्होंने कहा कि 1983 से ही अभिजीत घर के बाहर रह रहे हैं. खुद को अकेले ही उन्होंने संभाला. इसलिए फोन पर बात होने पर आम बातचीत नहीं होती. मसलन वह यह नहीं पूछती कि उन्होंने खाना खाया या नहीं, बल्कि बातचीत विभिन्न गंभीर विषयों पर होती है.
उल्लेखनीय है कि अभिजीत बंद्योपाध्याय ने 2017 में अमेरिकी नागरिकता स्वीकार की थी. इसपर निर्मला बंद्योपाध्याय कहती हैं कि अभिजीत दिल से भारतीय ही हैं. वह अपनी नागरिकता भी बदलना नहीं चाह रहे थे. अभिजीत के बचपन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि शुरू से ही वह किताबी कीड़ा रहे. वह खेलकूद और पढ़ाई दोनों में अव्वल थे.