नवंबर में कोलकाता व दिल्ली आयेंगे अभिजीत
कोनार ने कहा, ‘वह हमारे मार्गदर्शक समूह के सदस्य रहे हैं और अर्थशास्त्र विभाग को हमेशा मूल्यवान सलाहे दी है. उन्होंने बताया कि बनर्जी 2018 में प्रेसिडेंसी आये थे और वैसे वह जब भी कोलकाता आते हैं, वह यहां जरूर आते हैं. कोनर ने कहा कि दुर्गा पूजा के बाद जब संस्थान खुलेगा तो उन्हें उपयुक्त तरीके से सम्मानित किया जायेगा. बनर्जी के साथ-साथ संयुक्त विजेता में उनकी पत्नी एस्थर दुफ्लो और माइकल क्रेमर शामिल हैं. उन्हें यह पुरस्कार ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए किये गये कार्यों के लिये दिया गया. नोबेल समिति के सोमवार को जारी एक बयान में तीनों को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गयी.
बयान के मुताबिक, ‘‘इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है. मात्र दो दशक में उनके नये प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है. विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है.’ बनर्जी, 58 वर्ष, ने भारत में कलकत्ता विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की. इसके बाद 1988 में उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की. वर्तमान में वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं. बनर्जी ने वर्ष 2003 में अपनी पत्नी दुफ्लो और सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिल कर ‘अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब’ (जे-पाल) की स्थापना की. बनर्जी संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं. प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने कहा कि अभिजीत बनर्जी नवंबर महीने में कोलकाता व नयी दिल्ली आयेंगे. कोलकाता दौरे के समय उन्हें प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी की ओर से सम्मानित किया जायेगा.
गौरतलब है कि प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी ही देश का एक मात्र ऐसा यूनिवर्सिटी है, जहां के दो अर्थशास्त्रियों को नोबेल पुरस्कार मिला है. इससे पहले अमर्त्य सेन को 1998 में नोबेल पुरस्कार मिला था. गौरतलब है कि नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत विनायक बनर्जी महानगर के साउथ प्वायंट स्कूल के भी छात्र रहे हैं. उनके इस उपलब्धि पर साउथ प्वायंट स्कूल के प्रबंधन ने कहा कि हमारे स्कूल के लिए इससे अधिक गर्व की बात कुछ और नहीं हो सकता. अभिजीत बनर्जी की इस उपलब्धि ने हमें गौरवान्वित किया है. उन्होंने कहा कि अभिजीत आज भी स्कूल के पुराने शिक्षकों के संपर्क में हैं और अक्सर उनसे बात करते रहते हैं.