बंगाल में उच्च शिक्षा व्यवस्था लकवे का शिकार : राज्यपाल

कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था लकवे का शिकार हो गयी है. एक निजी चैनल को दिये अपने इंटरव्यू में राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को चांसलर की बजाय सरकार ने नियुक्त कर दिया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2019 11:20 PM

कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था लकवे का शिकार हो गयी है. एक निजी चैनल को दिये अपने इंटरव्यू में राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को चांसलर की बजाय सरकार ने नियुक्त कर दिया. यह संविधान के खिलाफ है.

उन्होंने कहा कि शिक्षा सिस्टम को पूरी तरह तहस नहस किया जा रहा है. उच्च शिक्षा मंत्रालय के कार्य में पैरालिसिस है. राज्‍यपाल ने कहा कि खुली आंख से वह कहते हैं कि यहां भय का माहौल है. राजनीतिक विरोधी पुलिस के हाथों पीड़ित हैं. इसकी तादाद काफी अधिक है. अगर किसी को मारकर लटका दिया जाता है तो यह अत्यंत गंभीर मामला है. कानून का राज लोकतंत्र को बचाता है.

उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार ऐसा भी हो रहा है कि राजभवन में उन्हें दिया गया. आमंत्रण वापस लिया जा रहा है. राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने हाइकोर्ट में जज की नियुक्ति के लिए वारंट भेजा, ताकि संबंधित जज को शपथ दिलायी जा सके.

राज्य सरकार ने राज्यपाल के हस्ताक्षर वाले वारंट फॉरवर्ड नहीं किया था. वारंट को कई दिनों तक रोका गया. आखिर में राष्ट्रपति जब महानगर पहुंचे तो नये न्यायाधीश को शपथ दिलायी गयी. ऐसा देश में पहले कभी नहीं हुआ.

राज्य में समानांतर प्रशासन चलाने की कोशिश के आरोप पर राज्यपाल ने कहा कि वह राज्य में सभी चुने हुए सदस्यों से मिलेंगे. न केवल सत्ताधारी दल बल्कि विपक्षी दलों के नेताओं से भी वह मिलना चाहेंगे. श्री धनखड़ ने कहा कि उन्होंने शपथ ली है कि वह पश्चिम बंगाल के लोगों की सेवा करेंगे. लेकिन सेवा के लिए राजभवन के दायरे में रहकर नहीं की जा सकती. इसके लिए बाहर निकलना होगा.

उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी में पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव की उनकी बैठक का अनुरोध के बावजूद कोई नोट लेने वाला नहीं था. उनके लिए कोई सत्ताधारी या विरोधी पार्टी नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके रवैये में तबतक बदलाव नहीं आयेगा जब तक उन्हें कोई यह न स्पष्ट करे कि वह संवैधानिक दायित्वों के वह बाहर कार्य कर रहे हैं. कुछ लोग राज्यपाल की भूमिका से अवगत नहीं. उन्हें अपने विचारों को सही करने की जरूरत है. दुर्गा पूजा कार्निवल में प्रचार के लिए बयानबाजी के आरोपों के संबंध में उन्होंने कहा कि कार्निवल जनता के पैसे से हुआ था. प्रचार का भूखा कौन था वह यह नहीं कहना चाहते.

उन्होंने कहा कि उन्हें कहा गया कि वह पर्यटक के तौर पर रहें. लेकिन वह यह स्पष्ट करना चाहता हैं कि वह पर्यटक नहीं हैं. आदमी अपने घर में मेहमान नहीं हो सकता. वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं. उनका पद सजावटी नहीं है और उन्हें गैर चुना गया व्यक्ति करार देना गलत है. मुख्य चुनाव आयुक्त, चीफ जस्टिस, सीएजी चुनाव के जरिए नहीं आते. राज्य की भलाई के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि राज्यपालों का सम्मेलन नवंबर में होने वाला है. राज्य से जुड़े प्रमुख मुद्दे अगर वह उठाना चाहती हैं तो वह उठायेंगे.

श्री धनखड़ ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की बात आखिर क्यों उठ रही है. दूर-दूर तक इसका कोई संकेत नजर नहीं आ रहा. उनके बयानों की बाबत उनका कहना था कि अगर मंत्री उनके संबंध में कोई बयान देते हैं तो उसका स्पष्टीकरण करना जरूरी है. यह अच्छी बात है कि निजी तौर पर मुख्यमंत्री ने कभी कोई बयान नहीं दिया. अगर वह कभी बयान भी देती हैं तो वह उसकी प्रतिक्रिया नहीं देंगे.

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