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76 करोड़ के जीएसटी घोटाले में डीजीजीआइ को मिले अहम सुराग

घोटाले में बड़ाबाजार के व्यवसायी की हुई है गिरफ्तारी गिरफ्तार व्यवसायी के लिंक मुंबई और दिल्ली के व्यवसायियों से डीजीजीआइ कोलकाता यूनिट उन अन्य व्यवसायियों के बारे में पता लगाने में जुटी गिरफ्तारी के बाद कंपनी के उक्त निदेशक को मिल चुकी है जमानत कोलकाता : 76 करोड़ के जीएसटी घोटाले के मामले में बड़ाबाजार […]

घोटाले में बड़ाबाजार के व्यवसायी की हुई है गिरफ्तारी

गिरफ्तार व्यवसायी के लिंक मुंबई और दिल्ली के व्यवसायियों से
डीजीजीआइ कोलकाता यूनिट उन अन्य व्यवसायियों के बारे में पता लगाने में जुटी
गिरफ्तारी के बाद कंपनी के उक्त निदेशक को मिल चुकी है जमानत
कोलकाता : 76 करोड़ के जीएसटी घोटाले के मामले में बड़ाबाजार के एक व्यवसायी की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस (डीजीजीआइ) की कोलकाता जोनल यूनिट को कई सारे अहम सुराग मिले हैं, जिसमें कई व्यवसायियों के नाम भी सामने आये हैं.
जल्द ही अधिकारियों की टीम उनके दफ्तरों में भी छापेमारी कर सकती है. डीजीजीआई सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार उक्त व्यवसायी कोलकाता स्थित एडवरटाइजिंग पब्लिसिटी और इंफ्रा रियल्टी नामक दो कंपनियों का निदेशक है. साथ ही अन्य दस कंपनियों में भी निदेशक है. उनकी कंपनी का लिंक दिल्ली व मुंबई की बड़ी कंपनियों के साथ भी है.
हालांकि उक्त व्यवसायी को गिरफ्तारी के बाद जमानत मिल चुकी है, लेकिन पूछताछ में मिले सुराग के आधार पर डीजीजीआइ की कोलकाता जोनल यूनिट के अधिकारी उन अन्य कंपनियों व व्यवसायियों के बारे में भी पता लगा रहे हैं. मालूम हो कि गत 24 अक्तूबर को ही डीजीजीआइ की कोलकाता जोनल यूनिट ने बड़ाबाजार के उक्त व्यवसायी को गिरफ्तार किया और उसके बाद ही अधिकारियों की टीम ने बड़ाबाजार व क्लाइव रोड सहित दस स्थानों पर छापेमारी भी की थी. करोड़ों की जीएसटी चोरी के इस मामले में व्यवसायी के बड़ाबाजार व क्लाइव रो ऑफिस व आवास समेत कोलकाता के दस स्थानों पर छापेमारी में कई सारे अहम दस्तावेज भी जब्त किये गये हैं.
डीजीजीआइ की कोलकाता यूनिट के एक अधिकारी ने बताया कि जब्त दस्तावेजों से पता चला है कि उक्त कंपनी का निदेशक वहां से फेक जीएसटी बिलिंग का धंधा चला रहा था. साथ ही अपनी जीएसटी की देनदारी को निपटाने के लिए वे अस्तित्वहीन कंपनियों व प्रोपराइटरशिप फार्म्स द्वारा जारी फर्जी इनवायस के आधार पर अनियमित आइटीसी (इनपुर टैक्स क्रेडिट) की सुविधा लेकर अपने कारोबार को बढ़ाकर पेश किया करता था. प्रारंभिक जांच यह पता भी चला है कि इन कंपनियों ने बहुत से बिलों का ओवर वैल्युएशन किया था ताकि मुंबई और दिल्ली में स्थित अन्य कंपनियां इस अनियमित जीएसटी और इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा उठा सकें.
डीजीजीआई की कोलकाता यूनिट के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह से फर्जी जीएसटी चालान जारी करने के संबंध में पूर्व में कई गिरफ्तारियां भी की हैं. ऐसे अनियमित जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने वाले कंपनियों से अब तक 67 करोड़ रुपये की राशि बरामद भी की गई है. डीजीजीआई अधिकारियों की ओर से हमेशा ही वास्तविक जानकारी प्रदान करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए जीएसटी कानून के तहत पुरस्कार भी प्रदान किये जाते हैं.

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