मेहमान पक्षियों के आने से पहले सांतरागाछी झील की सफाई शुरू
हावड़ा : मेहमान पंक्षियों के आने से पहले सांतरागाछी झील की सफाई शुरू कर दी गयी है. मंगलवार को निगम की ओर से सफाई अभियान शुरू किया गया है, लेकिन इस कार्य में काफी देर हो गयी. झील की साफ-सफाई पूरी होने में करीब एक महीना लग जायेगा. मालूम रहे कि सांतरागाछी झील में प्रत्येक […]
हावड़ा : मेहमान पंक्षियों के आने से पहले सांतरागाछी झील की सफाई शुरू कर दी गयी है. मंगलवार को निगम की ओर से सफाई अभियान शुरू किया गया है, लेकिन इस कार्य में काफी देर हो गयी. झील की साफ-सफाई पूरी होने में करीब एक महीना लग जायेगा.
मालूम रहे कि सांतरागाछी झील में प्रत्येक साल विदेशी पक्षी पहुंचते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पक्षियों की संख्या में कमी आयी है. यहां गुस, कॉब डक, विस्लिंग डक्स, कॉटन पिगमी गुस सहित अन्य प्रजाति के विदेशी पक्षी आते हैं. सांतरागाछी स्टेशन के पास यह झील 32 एकड़ जमीन पर फैली हुई है. झील रेलवे की जमीन पर है, लेकिन हावड़ा नगर निगम के अलावा एनजीओ व वन विभाग भी इसकी देखभाल करती है.
मूलत: इस झील में 20 प्रजाति के हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी पहुंचते हैं. पिछले साल भी यहां कम पक्षी पहुंचे थे. पिछले वर्ष सफाई अभियान के तहत जलकुंभी को साफ किया गया था. नियम के अनुसार, 20 फीसदी जलकुंभी को झील में रखना अनिवार्य है. झील के बीच आइलैंड की सुुविधा होनी चाहिए, लेकिन पिछले साल आइलैंड नहीं बनाये गये थे. जलकुंभी व आइलैंड होने से पंक्षियाें को रहने में दिक्कत नहीं होती है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार सभी बातों को ध्यान में रखा गया है.
जलकुंभी को भी रखा जायेगा. साथ ही आइलैंड भी बनाये जायेंगे. आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में यहां 18 प्रजाति के 5474 विदेशी पक्षी पहुंचे थे. वर्ष 2017 में यह संख्या घट कर 3123 व पिछले वर्ष करीब 3000 हो गयी थी. झील के आस-पास रिहायशी इलाके होने से गंदा पानी भी झील में सालोंभर गिरता है.
मोबाइल टॉवर भी इन पक्षियों के लिए एक समस्या बनी हुई है. जानकारों की मानें, तो टॉवर से पक्षियों को परेशानी होती है. कालीपूजा के बाद यहां विदेशी पक्षी आते हैं और होली तक उनका यहां बसेरा होता है. सुबह चार बजे से पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. शाम पांच के बाद ये पक्षी यहां से उड़ कर दूसरे जगह पनाह लेते हैं. झील का देखभाल स्थानीय क्लब के सदस्य भी करते हैं.
क्लब के सदस्य जीवन साहा ने बताया कि पिछले चार-पांच सालों से पक्षियों की संख्या कम हुई है. सफाई ठीक से नहीं होने के कारण पक्षी अब यहां नहीं पहुंचते हैं. ये पक्षी सांतरागाछी झील ही क्यों आते हैं, इस बारे में उन्होंने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी से इन पक्षियों का इस झील में आना है. इस झील में पक्षियों को कोई तंग नहीं करता है. उन्हें कोई पत्थर नहीं मारता है. बहुत शांति मिलती है. यही कारण है कि ये पक्षी यहां पहुंचते हैं.