अध्यापन से पहले एक महीने की आवासीय ट्रेनिंग अनिवार्य होगी

आइसीसी के द्वितीय ग्लोबलाइज्ड एजुकेशन फोरम में यूजीसी के उपाध्यक्ष डॉ. भूषण पटवर्धन ने की घोषणा न्यू एजुेकशन पॉलिसी 2019 के तहत ‘गुरुदक्षता’ योजना नये सत्र से लागू होगी कोलकाता : न्यू नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2019 (एनईपी) के तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा की स्थिति को एक्सीलेंट बनाये जाने की रणनीति तैयार की गयी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2019 2:21 AM

आइसीसी के द्वितीय ग्लोबलाइज्ड एजुकेशन फोरम में यूजीसी के उपाध्यक्ष डॉ. भूषण पटवर्धन ने की घोषणा

न्यू एजुेकशन पॉलिसी 2019 के तहत ‘गुरुदक्षता’ योजना नये सत्र से लागू होगी

कोलकाता : न्यू नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2019 (एनईपी) के तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा की स्थिति को एक्सीलेंट बनाये जाने की रणनीति तैयार की गयी है. इसमें अगले सत्र में कॉलेज व विश्वविद्यालयों में होने वाली नये शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया है. अब नियुक्ति से पहले उनको एक महीने की विशेष आवासीय ट्रेनिंग दी जायेगी.

इस ट्रेनिंग में पैडोलीजी, अध्यापन की नयी तकनीक व विद्यार्थियों से संवाद करने की कला सिखायी जायेगी. इस एक महीने की ट्रेनिंग का एक करीक्युलम बनाया गया है. यह जानकारी आइसीसी के द्वितीय ग्लोबलाइज्ड एजुकेशन फोरम में यूजीसी के उपाध्यक्ष डॉ. भूषण पटवर्धन ने दी.

उनका कहना है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा को मूल्यपरक बनाने के लिए एचआरडी ने ‘गुरूदक्षता ’ योजना बनायी है. इसके तहत अब नये शिक्षकों को यह ट्रेनिंग लेना अनिवार्य होगा. कॉलेज विश्वविद्यालयों में नियुक्ति करने वाली सलेक्शन कमेटियों को भी यह निर्देश दिया गया है कि चयन करते समय केवल शिक्षकों की डिग्री या रिसर्च पेपर न देखा जाये बल्कि उनका समग्र मूल्यांकन व शिक्षकों की क्वालिटी पर फोकस करना होगा. उनका कहना है कि एक्सीलेंट टीचर व इन्फ्रस्ट्रक्चर के आधार पर ही ‘रूसा’ का फंड व नैक की स्वीकृति मिल सकती है.

इस नजरिये से क्वालिटी टीचर की भर्ती पर फोकस होगा. एनइपी एक ऐसी ट्रांसफोरमेटिव सहभागी नीति है, जो आने वाले समय में भारतीय शिक्षा के लिए एक गेम चेंजर के रूप में ऊभरेगी. ड्राफ्ट नेशनल एजुकेशन पालिसी 2019, कमेटी के चैयरमेन व इसरो के पूर्व चैयरमेन डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन ने कहा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए सेमेस्टर आउटरीच प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है. इसमें छात्र प्रथम सेमेस्टर के बाद उद्योग, कृषि या आर्मी के क्षेत्र में भी जा सकता है.

नये सत्र से शिक्षा में खर्चे की दर 10-11 प्रतिशत से बढ़ा कर 20 प्रतिशत कर दी जायेगी. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एकेडमिक, प्रशासनिक व वित्तीय स्तर पर ऑटोनोमी पर फोकस किया गया है. कॉलेजों में नियमित उपस्थिति के लिए ऐसा परिवेश तैयार करने की नीति बनायी गयी है, जिससे छात्र खुद आर्कषित होंगे.

इस हिसाब से शिक्षकों को ट्रेंड किया जा रहा है. कार्यक्रम में तकनीकी शिक्षा, ट्रेनिंग एंड स्किल डवलपमेंट विभाग की मुख्य सचिव आइएएस रोशनी सेन ने कहा कि विभाग की ओर से साइबर सिक्युरिटी, ई मोबिलिटी व सोलर पावर टेक्नोलोजी पर रोजगारोन्मुखी कोर्स तैयार किये गये हैं. मकाऊट के वाइस चांसलर प्रो. सैकत मित्रा ने कहा कि औद्योगिक क्रांति के कारण शिक्षा के अवसर बढ़ रहे हैं.

आइसीसी के अध्यक्ष मयंक जालान ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा को तकनीकी दक्षता के साथ रोजगारोन्मुखी बनाने की जरूरत पर जोर दिया. अमिटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. ध्रुबज्योति चट्टोपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन किया. उद्घाटन सत्र में हेरीटेज ग्रुप अ़ॉफ इन्स्टीट्यूशंस के चैयरमेन एच के चौधरी, सीइओ प्रदीप अग्रवाल, सिस्टर निवेदिता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सत्यम राय चौधरी सहित कई शिक्षाविदों ने भाग लिया.

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