सिंगूर में बंगाल के राज्यपाल का तृणमूल की महिला कार्यकर्ताओं ने किया विरोध

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और प्रदेश सरकार के बीच गुरुवार को कड़वाहट तब और बढ़ गयी, जब राज्यपाल ने अपने अनिर्धारित सिंगूर दौरे को लेकर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के रुख पर सवाल करते हुए आश्चर्य जताया कि क्या वहां कुछ छिपाया जा रहा था. धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल के तौर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2019 7:34 PM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और प्रदेश सरकार के बीच गुरुवार को कड़वाहट तब और बढ़ गयी, जब राज्यपाल ने अपने अनिर्धारित सिंगूर दौरे को लेकर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के रुख पर सवाल करते हुए आश्चर्य जताया कि क्या वहां कुछ छिपाया जा रहा था. धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल के तौर पर वह सिंगूर और नंदीग्राम में लंबा वक्त बिताना और इन दोनों जगहों के बारे में ‘पूरी जानकारी’ लेना चाहेंगे.

सिंगूर और नंदीग्राम में पिछले दशक में भूमि-अधिग्रहण विरोधी आंदोलन चला था, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष ममता बनर्जी प्रदेश में 34 साल से चली आ रही वामपंथी सरकार को हटा कर सत्ता पर काबिज हुईं थीं.

धनखड़ ने गुरुवार को यहां संवाददाताओं को बताया, ‘मैं कलेक्टर (जिलाधिकारी) को सूचित करने के बाद वहां गया था. बर्धमान और दुर्गापुर जाने से पहले भी ऐसा ही किया था.’ बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के अपने सिंगूर दौरे के बारे में उन्होंने कहा, ‘जब कुछ दबाने या छिपाने के प्रयास किये जाते हैं, तो उसे देखने की इच्छा बढ़ जाती है. इसलिए अगर कोई कुछ छिपाना चाहता है, तो मैं उसे देखना चाहूंगा.’

राज्यपाल ने कहा कि उन्हें यह देखकर दुख हुआ कि एक राजनीतिक दल (सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस) की महिला कार्यकर्ता सोमवार को हुगली जिले के सिंगूर उप-मंडल के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) के दफ्तर के बाहर उनके दौरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थीं. उन्होंने कहा कि महिला प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन के लिए ‘उकसाया’ गया था.

विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के बाद शांति निकेतन से लौटते समय धनखड़ पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बिना सिंगूर में बीडीओ दफ्तर पहुंच गये थे. शांति निकेतन जाते समय राज्यपाल बर्धमान और दुर्गापुर में रुक गये थे और लोगों से बातचीत की थी. तृणमूल ने कथित तौर पर अपनी तय सीमाओं के पार जाने के लिए राज्यपाल को आड़े हाथों लिया था और हैरानी जतायी थी कि क्या वह ‘संवैधानिक दायित्वों’ को समझते भी हैं.

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