बंगाल के शिक्षकों की स्थिति दयनीय
कहा : जब शिक्षकों का भविष्य ही अंधकारमय हो, तो फिर बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा कोलकाता : समाज में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं, जो कल का भविष्य तैयार करते हैं. हमारे आनेवाले कल का भविष्य अच्छा हो, इसके लिए वे प्रयास करते हैं, लेकिन आज शिक्षकों की […]
कहा : जब शिक्षकों का भविष्य ही अंधकारमय हो, तो फिर बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा
कोलकाता : समाज में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं, जो कल का भविष्य तैयार करते हैं. हमारे आनेवाले कल का भविष्य अच्छा हो, इसके लिए वे प्रयास करते हैं, लेकिन आज शिक्षकों की स्थिति ही दयनीय हो, उनका भविष्य ही अंधकारमय हो, तो फिर बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा.
बच्चों के भविष्य का क्या हाल होगा. ये बातें साॅल्टलेक में सेंट्रल पार्क के पास वेतन बढ़ाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर अनशन पर बैठे पैरा टीचर के आंदोलन मंच पर बुधवार को पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहीं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की स्थिति काफी दयनीय है.
यहां के शिक्षकों को काफी कम वेतन मिलता है. जिस समाज में शिक्षक अगर अपनी मांग के लिए ही सड़क पर आ जाये, जहां समाज में उनका सम्मान नहीं हो, वहां के समाज का कभी विकास नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 60 प्रतिशत सर्वशिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों को वेतन देती है, 40 प्रतिशत राज्य सरकार को देना चाहिए.
यहां के प्रत्येक प्राथमिक शिक्षक के लिए केंद्र सरकार प्रति माह 15 हजार रुपये भेज रही है, लेकिन यहां शिक्षकों को मात्र 10 हजार ही मिलते हैं. हाथ में कुल 8,800 रुपये ही मिलते हैं. केंद्र सरकार जब इन शिक्षकों के लिए 15 हजार भेज रही है, तो बाकी पैसे कहां जा रहे हैं. राज्य सरकार को हिसाब देना चाहिए. क्या साढ़े आठ हजार में किसी का परिवार चल पायेगा. राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन वह बहरी हो गयी है. उन तक शिक्षकों की आवाज नहीं पहुंच रही है.
उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य होता है कि यहां पांचवां पे कमिशन चल रहा है, बंगाल में कर्मचारियों के साथ बहुत अन्याय हो रहा है. यह चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि यहां शिक्षक भूख हड़ताल कर रहे हैं और पास ही में राज्य सरकार का फूड फेस्टिवल चल रहा है. जिस समाज में शिक्षक का सम्मान नहीं होता है, उस समाज कभी विकसित नहीं हो सकता है.