कोलकाता : एनआरसी-सीएए की आंच अब वैवाहिक रिश्तों में भी दिखने लगी है. वधू चाहिए सुंदर, सुशील, पढ़ी-लिखी, ऐसे हजारों विज्ञापन अखबारों में छपते रहते हैं, पर नागरिकता का सबूत देने संबंधी एक विज्ञापन ने सनसनी फैला दी है. ऐसा एक दिलचस्प विज्ञापन एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि वधू चाहिए, पर उसके पास भारतीय नागरिक होने का सबूत होना चाहिए.
1971 से पहले बहू के परिवार का भारत में रहना अनिवार्य है. विवाह करना है, तो कन्या पक्ष को वर पक्ष को बाकायदा कागजी सबूत दिखाना होगा. वर स्कूल शिक्षक हैं. मुर्शिदाबाद में रहते हैं. हालांकि उनका पैतृक निवास उत्तर 24 परगना के हाबरा में है. विज्ञापन में केवल टेलीफोन नंबर छपा है, जो वर के जीजाजी का है, जिनसे संपर्क साधने पर पता चला कि एनआरसी-सीएए की आंच अब परिवार में भी पड़ चुकी है. वर के जीजा का कहना है कि एनआरसी-सीएए को लेकर जिस तरह का विवाद चल रहा है, उसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.
शादी के लिए कन्यापक्ष से कुछ भी नहीं चाहिए, केवल भारतीय नागरिक होने का कागजी सबूत चाहिए. उनका कहना है कि भविष्य में यदि एनआरसी होती है और बहू कोई कागजात दिखा नहीं पाती, तो उसे डिटेंशन सेंटर भेजा जा सकता है. फिर उनके साले का क्या होगा? इसलिए यह शर्त रखी गयी है. यह पूछने पर कि कन्या के पास राशन और आधार कार्ड तो होंगे? उनका कहना है कि इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. सरकार क्या करेगी, पता नहीं. इसलिए 1971 से पहले का रिकार्ड मांगा गया है. बहू का परिवार 1971 के पहले से भारत में रह रहा है, इसका सबूत रखना जरूरी है.