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टकराव की रणनीति को राज्य सरकार ने रखा बरकरार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र की योजनाओं पर हमेशा उठाया सवाल

अमर शक्ति, कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमेशा ही केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर सवाल उठाया है. केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विभिन्न योजनाओं व उनके क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठाये हैं, लेकिन एनडीए सरकार की दूसरी पारी में मुख्यमंत्री ने टकराव की रणनीति […]

अमर शक्ति, कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमेशा ही केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर सवाल उठाया है. केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विभिन्न योजनाओं व उनके क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठाये हैं, लेकिन एनडीए सरकार की दूसरी पारी में मुख्यमंत्री ने टकराव की रणनीति को और तेज कर दिया है. केंद्र में नयी सरकार बनने के लिए राज्य सरकार ने कई केंद्रीय योजनाओं व नियमों को राज्य में लागू नहीं करने का फैसला किया है.

घोषणा के बावजूद प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं गयीं मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी सरकार की दूसरी पारी की शुरुआत से ही ममता बनर्जी ने केंद्र के साथ टकराव जारी कर दिया था. मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण समारोह का बॉयकॉट किया था. पहले उन्होंने इसमें भाग लेने का ऐलान किया था, पर बाद में वह पीछे हट गयीं. उन्होंने कहा था कि चूंकि मोदी यह झूठा प्रचार कर रहे हैं कि चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में 50 से ज्यादा लोग हिंसा में मारे गये, वह विरोध स्वरूप शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जायेंगी.
सरकार बनने के बाद नीति आयोग के बहाने साधा निशाना
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला कर यह साफ कर दिया कि वह केंद्र सरकार के हर फरमान को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. ममता बनर्जी ने 15 जून को होने वाली नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला करते हुए एक चिट्ठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी थी.
इसमें उन्होंने कहा था कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है, यह किसी तरह राज्य सरकार की वित्तीय मदद नहीं कर सकता, लिहाजा इसमें भाग लेने का कोई मतलब नहीं है. वह इसके पहले भी नीति आयोग की बैठकों से दूर रही हैं. उन्होंने इसके पहले बैठक में भाग यह कह कर नहीं लिया था कि वह योजना आयोग को भंग किये जाने के खिलाफ हैं.
नये मोटर वाहन एक्ट को लागू करने से किया इनकार
देशभर में लागू हुआ संशोधित मोटर वाहन एक्ट अभी भी कुछ राज्यों में लागू नहीं किया गया है. पश्चिम बंगाल भी उन राज्यों में से है, जिसने अभी तक इस एक्ट को स्वीकार नहीं किया है.
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि वह अभी इस मोटर वाहन एक्ट को लागू नहीं कर सकतीं, क्योंकि उनकी सरकार के अधिकारियों की राय है कि अगर हम इसे लागू करते हैं तो इसका बोझ लोगों पर पड़ेगा. यह सरकार के संघीय ढांचे के खिलाफ है.
तृणमूल कांग्रेस ने संसद में संशोधनों का विरोध किया था. यदि हम मोटर वाहन अधिनियम संशोधनों को लागू करते हैं, तो इससे आम लोगों को नुकसान होगा.
कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने का किया विरोध
जम्‍मू कश्‍मीर से धारा 370 हटने के बाद मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने खुले तौर पर इस बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा था कि भाजपा ने इस मामले में मनमर्जी की है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार को सभी राजनीतिक पार्टियों और कश्‍मीरियों से बातचीत करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि यदि आप स्‍थायी समाधान चाहते हैं तो आपको सभी पक्षकारों से बातचीत करनी होगी. ममता बनर्जी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा था कि हम इस बिल का किसी भी कीमत पर समर्थन नहीं करते हैं.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शुरू किया आंदोलन
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू नहीं करने का ऐलान किया है. संसद के दोनों सदनों में बिल के पास हाेने के बाद मुख्यमंत्री ने रास्ते पर उतर कर इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. सीएए के खिलाफ मुख्यमंत्री ने महानगर व हावड़ा सहित विभिन्न जिलों में रैलियां व सभा की हैं. उन्होंने साफ कर दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून को वह किसी भी शर्त में लागू नहीं होने देंगी.
एनपीआर पर जारी काम रोका
ममता बनर्जी सरकार ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) पर जारी काम रोक दिया है. इस मामले पर सभी संबंधित विभागों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है. मामले में कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन कमिश्नर, हावड़ा म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन और सभी जिलाधिकारियों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है.
एनपीआर देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. कोई भी निवासी जो पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे एनपीआर में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है.
राष्ट्रीय गंगा परिषद की समीक्षा बैठक से बनायी दूरी
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) की ओर से कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद की समीक्षा बैठक बुलायी गयी थी, जिसमें गंगा के प्रवाह क्षेत्र उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस बैठक से भी दूरी बनाते हुए कार्यक्रम में हिस्सा लेने नहीं पहुंची थी.
नदी जोड़ो परियोजना का विरोध
पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र की नदी-जोड़ो परियोजना का विरोध किया था. इसके तहत केंद्र सरकार ने मानस-सनकोष-तीस्ता-गंगा नदियों को जोड़ने की परियोजना बनायी थी. इसके तहत इन नदियों को आपस में जोड़ कर सिंचाई, पीने के पानी और बाढ़ नियंत्रण का इंतजाम करना था. इसमें पश्चिम बंगाल के साथ बिहार और असम सरकारों को मिल कर काम करना था. जल संसाधन मंत्री ने इस पर कई चिट्ठियां मुख्यमंत्री को लिखीं, पर बात आगे नहीं बढ़ी.

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