बदलते समीकरण के मद्देनजर पार्टियों का हो रहा राजनीतिक धर्मांतरण
नवीन कुमार राय, कोलकाता : कांग्रेस व वाममोर्चा के बीच गठबंधन के बाद दोनों ही पार्टियों में एक जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है. कांग्रेस की रैलियों में जब बंदे मातरम का नारा लगाया जा रहा है तो घोर वामपंथी भी उसमें नारा को दोहरा रहे हैं. वहीं जुलूस में शामिल वामपंथी जब इंकलाब जिंदाबाद […]
नवीन कुमार राय, कोलकाता : कांग्रेस व वाममोर्चा के बीच गठबंधन के बाद दोनों ही पार्टियों में एक जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है. कांग्रेस की रैलियों में जब बंदे मातरम का नारा लगाया जा रहा है तो घोर वामपंथी भी उसमें नारा को दोहरा रहे हैं. वहीं जुलूस में शामिल वामपंथी जब इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगा रहे हैं तो उसको दोहराना कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मजबूरी हो रही है.
जबकि कांग्रेस के नारों में अब वामपंथियों का नारा ‘हल्ला बोल’ और ‘लेकर रहेंगे आजादी’ का खुल कर प्रयोग होने लगा है. वहीं भाजपा भी अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए वामपंथियों की तर्ज पर लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया.
उल्लेखनीय है कि 80 के दशक में जब इंदिरा गांधी के विचार के तहत प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नेशनल पॉलिसी ऑन एजुकेशन और कंप्यूटरीकरण को लागू किया तो शिक्षा नीति व कंप्यूटरीकरण के खिलाफ पश्चिम बंगाल के वामपंथी दल आंदोलन की राह पर चले गये. वह इसकी खामियों को गिनाते हुए पैंफलेट बांटना शुरू कर दिये. इस पैंफलेट को लोगों के घरों तक पहुंचाने का काम वामपंथी दलों के छात्र व युवा संगठन के लोगों ने किया था.
उनकी इस रणनीति को भाजपा ने अब अपनाना शुरू कर दिया है. सूचना क्रांति के दौर में सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भाजपा ने पैंफलेट छपवाया है. इसको पार्टी के छात्र संगठन व युवा संगठन के अलावा महिला संगठनों के मार्फत लोगों के घरों में पहुंचाया जा रहा है.
वहीं वामपंथी दल, कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस की तरह भाजपा भी सभा, नुक्कड़ सभा और जुलूस करके लोगों को संगठित कर रही है. विरोधी दलों का दावा है कि विपक्ष एक होगा तो भाजपा को हराना आसान होगा. वहीं भाजपा का दावा है कि विरोधी जितना एकजुट रहेंगे भाजपा के लिए लोगों को एकजुट करना उतना आसान होगा.