नव वर्ष पर आज से तीन दिवसीय कल्पतरु उत्सव

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में साल के प्रथम दिन से तीन दिवसीय कल्पतरु उत्सव की शुरुआत होती है, इस दिन दक्षिणेश्वर मंदिर व काशीपुर के उद्यान बाटी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं. साल के पहले दिन से तीन दिनों तक हर साल जनसमागम होता है. क्या है मान्यता: ऐसी मान्यता है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2020 6:02 AM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में साल के प्रथम दिन से तीन दिवसीय कल्पतरु उत्सव की शुरुआत होती है, इस दिन दक्षिणेश्वर मंदिर व काशीपुर के उद्यान बाटी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं. साल के पहले दिन से तीन दिनों तक हर साल जनसमागम होता है.

क्या है मान्यता: ऐसी मान्यता है कि ठाकुर रामकृष्ण परमहंस ने वर्ष 1886 के एक जनवरी को अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए कल्पतरु का रूप धारण किया था.
गले में कैंसर से पीड़ित परमहंस लंबे समय बाद इसी दिन काशीपुर उद्यान बाटी में अपने भक्तों के समक्ष प्रकट हुए थे. उन्होंने देखा कि गिरीश घोष अन्य भक्तों के साथ उनका इंतजार कर रहे थे. तब परमहंस ने अपने परम भक्त गिरीश को बुला कर पूछा, बोलो आज तुम्हें क्या चाहिए. जो मांगोगे वही मिलेगा.
गिरीश ने कहा कि कुछ नहीं मांगना है. यह सुन रामकृष्ण ने कहा – तुम सभी लोगों का कल्याण हो. उन्होंने लोगों को जीवन का पाठ पढ़ाया था. इतिहास में इसका उल्लेख है कि एक जनवरी 1886 को परमहंस ने जिन्हें भी स्पर्श किया, सबकी मनोकामना पूरी हुई. भक्त अपनी मन्नत लेकर हर साल दक्षिणेश्वर और उद्यानबाटी में पूजा-अर्चना के लिए इकट्ठा होते हैं.

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