कोलकाता : भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने साफ कर दिया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) देश के किसी नागरिक के खिलाफ नहीं है, लेकिन कुछ राजनीतिक दल अपनी सुविधा के अनुसार अपनी राजनीति बदल लेते हैं.
राम माधव रविवार को स्वभूमि में सीएए पर आयोजित परिचर्चा पर वक्तव्य रखते हुए कहा कि 1951 में पहली बार नागरिकता संशोधन कानून बना है, जो लगातार शरणार्थी के रूप में देश में प्रवेश किये हैं. उन्हें नागरिकता का प्रावधान है. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लिये बिना कहा : हम लोग बहुत जल्दी अपनी सुविधा के अनुरूप अपना बयान बदल लेते हैं और अपने पक्ष की बात करते हैं, लेकिन मैं उन बहसों को लेकर चिंतित नहीं हूं.
मैं कभी भी 4 अगस्त, 2005 को नहीं भुलूंगा, जिन्हें याद हैं, वे याद करें. आप कुछ दिनों के बाद अपनी बातों से मुकर जाते हैं और वे बातें बोलने लगते हैं, तो राजनीतिक रूप से आपको फायदा पहुंचाती है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भी शरणार्थियों को नागरिकता देने की वकालत की थी तथा उन्हें सम्मान के साथ देश में सभी कानूनी और संवैधानिक अधिकारी देने की बात कही थी.
उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून में दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, आफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना की वजह से भारत आये, वहां के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना का प्रावधान है.
उनके मुताबिक बांग्लादेश द्वारा खुद को इस्लामी राष्ट्र घोषित किये जाने और उसके बाद की गतिविधियों के कारण वहां से बड़ी संख्या में हिंदू, बौद्ध और ईसाई भारत आये और बीते कई दशकों से रह रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया : सीएए मुसलमानों या किसी अन्य धर्म के खिलाफ नहीं है, लेकिन विपक्ष इसके बारे में गलत बातें फैला रहा है.