कोलकाता : पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार लगातार सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही है. इसी क्रम में सरकार ने सीएए और एनआरसी के विरोध में विधानसभा के विशेष सत्र में एंटी सीएए रिसोल्यूशन लाने का फैसला किया है. बताया गया है कि 27 जनवरी को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जायेगा और दोपहर दो बजे राज्य सरकार एंटी-सीएए रिसोल्यूशन लायेगी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्वोत्तर और गैर भाजपा शासित राज्यों के अपने समकक्षों से सोमवार को अपील की है कि वे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अद्यतन पर निर्णय करने से पहले इसके फॉर्म, इसके सवालों और मानदंडों का सावधानी से अध्ययन कर लें. बनर्जी ने एनपीआर की कवायद को ‘खतरनाक खेल’ करार देते हुए कहा कि माता-पिता के जन्मस्थान का विवरण और निवास का सबूत मांगने वाला फॉर्म कुछ और नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के क्रियान्वयन का पूर्व संकेत है.
उन्होंने कहा, ‘मैं भाजपा शासित पूर्वोत्तर-त्रिपुरा, असम, मणिपुर और अरुणाचल तथा विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों, सरकारों से अपील करुंगी कि वे निर्णय पर पहुंचने से पहले कानून को ठीक तरह से पढ़ें और एनपीआर फॉर्म के विवरण खंडों का संज्ञान लें.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं उनसे इस कवायद में शामिल न होने का आग्रह करती हूं क्योंकि स्थिति बहुत बुरी है.’ बनर्जी ने कहा कि उन्हें मीडिया में आयी खबरों से पता चला है कि माता-पिता के एनपीआर फॉर्म में जन्मस्थान से जुड़ा कॉलम भरना अनिवार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि यह अनिवार्य नहीं है तो फिर इस कॉलम को फॉर्म में क्यों रखा गया है? इन सवालों को हटाने का प्रयास किया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘यदि यह कॉलम फॉर्म में बरकरार रहता है तो ऐसे में माता-पिता का जन्म विवरण न भरने वाले अपने आप बाहर हो जायेंगे. ऐसी आशंका है….’ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जल्द ही प्रस्ताव पारित करेगी. उन्होंने कहा, ‘हम पूर्व में एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं. अब तीन से चार दिन के भीतर विधानसभा में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव आयेगा.’