मॉब लिंचिंग व एससी एसटी कमीशन विधेयक पर राज्यपाल ने की बैठक

बैठक में नहीं पहुंचे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के विधायक विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान व माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने की शिरकत कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने लंबित विधेयकों पर चर्चा के लिए विधानसभा के सभी विधायक दल के नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया था. राज्यपाल द्वारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2020 1:47 AM

बैठक में नहीं पहुंचे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के विधायक

विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान व माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने की शिरकत

कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने लंबित विधेयकों पर चर्चा के लिए विधानसभा के सभी विधायक दल के नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया था. राज्यपाल द्वारा बुलायी गयी बैठक में सिर्फ माकपा, कांग्रेस व भाकपा के विधायक ने हिस्सा लिया.

बाकी पार्टियों के विधायक दल के नेताओं ने विभिन्न कारणों की वजह से इसमें शामिल होने में असमर्थता जतायी. सदन में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान व वाममोर्चा का नेतृत्व करते हुए माकपा के विधायक सुजन चक्रवर्ती व भाकपा विधायक अशोक डिंडा उपस्थित रहे.

राजभवन की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि बैठक लगभग 100 मिनट तक चली. राज्यपाल ने विधानसभा में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक को सकारात्मक बताया है. हालांकि, द वेस्ट बंगाल (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल 2019 के संबंध में चर्चा पर काेई निर्णय नहीं हो पाया. इस पर 26 जनवरी के बाद दोबारा बैठक होगी.

इस बैठक में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के रोहित शर्मा और आरएसपी के विश्वनाथ चौधरी बीमार होने के कारण शामिल नहीं हो सके, जबकि फाॅरवर्ड ब्लाॅक के अली इमरान रम्ज शहर से बाहर होने के कारण अनुपस्थित रहे. वहीं, विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता मनोज तिग्गा अपने पिता के निधन होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके.

विधानसभा ने गत मानसून सत्र (सितंबर 2019) में ही द वेस्ट बंगाल (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल, 2019 पारित किया था. साथ ही अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए अलग-अलग आयोग के गठन को लेकर राज्य सरकार ने द वेस्ट बंगाल स्टेट कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट शेड्यूल ट्राइब बिल, 2019 पारित करना चाहती है और राज्य सरकार की ओर से दोनों विधेयकों को राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजा गया था, जो अभी तक लंबित है. इसे लेकर राज्यपाल ने सर्वदलीय बैठक बुलायी थी, जिसमें तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के अलावा विधानसभा में आठ दलों के नेताओं को बुलाया गया था.

बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि अगर राज्य सरकार चाहती, तो विधानसभा में संशोधन प्रस्ताव लाकर इसे पारित कर सकती थी. लेकिन एक ही नंबर के दो विधेयक और दोनों विधेयकों का कंटेंट अलग-अलग होना, यह राज्य की जनता के साथ धाेखा है. उन्होंने कहा कि हम इस प्रकार के विधेयक का समर्थन नहीं कर सकते.

इस मौके पर माकपा के विधायक दल के नेता डॉ सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की जनता के साथ धोखा किया है. इस तरह की घटना का हम समर्थन नहीं करते हैं. विधानसभा में जिस दिन विधेयक पारित करने के लिए पेश किया गया था, हमने तभी इस पर आवाज उठायी थी. लेकिन राज्य सरकार ने हमारी नहीं सुनी और संख्या के दम पर बिल को पास करा दिया.

लंबित फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं होने तक राज्यपाल से बात नहीं : पार्थ

परिषदीय मामलों के मंत्री डॉ पार्थ चटर्जी ने कहा कि राज्यपाल के पास राज्य सरकार द्वारा भेजे गये कई बिल लंबित हैं, जबतक उनपर हस्ताक्षर नहीं हो जाते, तबतक हम बात नहीं करेंगे. बिल को लेकर विधानसभा में चर्चा हो चुकी है, इसलिए अब इस पर चर्चा करना जरूरी नहीं है.

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