CAA के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने पर विजयवर्गीय का ममता पर आरोप
कहा – ममता की वोट बैंक की राजनीति, अल्पसंख्यकों का वोट पाने का है गोरखधंधा कोलकाता : भारतीय नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पश्चिम बंगाल के विधानसभा में प्रस्ताव पारित किये जाने पर भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह […]
कहा – ममता की वोट बैंक की राजनीति, अल्पसंख्यकों का वोट पाने का है गोरखधंधा
कोलकाता : भारतीय नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पश्चिम बंगाल के विधानसभा में प्रस्ताव पारित किये जाने पर भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह वोट बैंक की राजनीति है और यह अल्पसंख्यकों का वोट पाने का गोरखधंधा है. इस प्रस्ताव का कोई मायने नहीं है. बंगाल सरकार इस प्रस्ताव को भेजेगी कहां और इसे सुनेगा कौन?
श्री विजयवर्गीय ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा : यह प्रस्ताव पूरी तरह से असंवैधानिक है. भारत के संविधान में हर समस्या का निराकरण, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की जवाबदारी और कर्तव्य व दोनों के बीच संबंध की बहुत अच्छी व्यवस्था दी गयी है.
श्री विजयवर्गीय ने कहा : केंद्र सरकार जब कोई ऐसा कानून बनाती है, जो केंद्रीय सूची में हो और दोनों सदन द्वारा बहुमत से पारित हो. उस कानून के खिलाफ राज्य सरकार कोई भी कानून नहीं बना सकती. यदि कोई विधानसभा इस प्रकार का कानून बनाती है, तो यह केंद्र सरकार के अधिकार को चुनौती है, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है.
उन्होंने कहा : यदि ममता बनर्जी विधानसभा से केंद्र द्वारा बनाये गये कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित कराती है, तो यह प्रस्ताव कहां जायेगा? और किसको भेजेंगी? कौन सुनेगा उसे? यह पूरी तरह से वोट बैंक की राजनीति है.
उन्होंने कहा : तुष्टिकरण की नीति के अंतर्गत अल्पसंख्यक समाज के वोट प्राप्त करने का यह गोरखधंधा है. बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये शरणार्थी, मतुआ समाज, नमो शूद्र, राजवंशी, जो दलित और पिछड़े वर्ग के नागरिक हैं, राज्य सरकार का यह कदम पश्चिम बंगाल के दलित व पिछड़े वर्ग के शरणार्थियों का विरोध है. ये आजादी के बाद से ही हमारे देश में शरणार्थी की जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं और उन्हें नागरिकता नहीं मिल रही थी.
उन्होंने कहा : मोदी जी ने सीएए के माध्यम से दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को नागरिकता देने का काम किया है, जिसका ममता जी तुष्टिकरण की राजनीति के तहत विरोध कर रही हैं.