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छात्रों ने राज्यपाल धनखड़ को दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोका, दिखाये काले झंडे

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कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को छात्रों के एक समूह ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के सालाना दीक्षांत समारोह में मंगलवार को शामिल नहीं होने दिया. इसके बाद, राज्यपाल परिसर से चले गये. धनखड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं. उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने संस्कृति और शिष्टाचार से समझौता किया है, उन्हें विचारशील होने […]

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कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को छात्रों के एक समूह ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के सालाना दीक्षांत समारोह में मंगलवार को शामिल नहीं होने दिया. इसके बाद, राज्यपाल परिसर से चले गये. धनखड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं. उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने संस्कृति और शिष्टाचार से समझौता किया है, उन्हें विचारशील होने की जरूरत है.’

आयोजन स्थल पर राज्यपाल के दोपहर साढ़े 12 बजे पहुंचने के शीघ्र बाद छात्रों ने काले झंडे लहराये और ‘वापस जाओ’ के नारे लगाये. कुछ छात्रों के हाथों में ‘सीएए नहीं’ और ‘एनआरसी नहीं’ के पोस्टर थे. धनखड़ सीधे नजरूल मंच के ग्रीन रूम में गये, जहां उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से मुलाकात की.

बनर्जी को मंगलवार को विश्वविद्यालय ने डी लिट् की मानद उपाधि दी. कार्यक्रम शुरू होने से कुछ ही मिनट पहले छात्रों का एक अन्य समूह मंच पर आ गया और राज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी की, इसके चलते धनखड़ आयोजन स्थल से करीब डेढ़ बजे निकल गये. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि धनखड़ (भाजपा नीत) केंद्र के प्रतिनिधि हैं, जो कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के लिए मंच पर उपस्थित होने के हकदार नहीं हैं.

हालांकि, कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बंदोपाध्याय अपनी ओर से छात्रों को इस बात के लिए मनाती हुई नजर आयीं कि वे अपना विरोध बंद कर दें. बाद में उन्होंने घोषणा की कि राज्यपाल आयोजन स्थल से चले गये हैं. बाद में ट्विटर पर धनखड़ ने अभिजीत बनर्जी के साथ अपनी तस्वीर साझा की और कहा कि जिन लोगों ने अशोभनीय दृश्य बनाया उसकी गूंज पश्चिम बंगाल के सभ्य लोगों के कानों में लंबे समय तक गूंजती रहेगी.

उन्होंने कहा, दीक्षांत समारोह में शामिल हुए बगैर कलकत्ता विश्विवद्यालय से जाने के दौरान उनके मन में यह सुनिश्चित करने का सर्वोच्च विचार आया कि नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत विनायक बनर्जी के लिए अत्यधिक सम्मान प्रकट करने से कोई समझौता नहीं किया जायेगा, जिन्हें हम डी लिट् की मानद उपाधि दे रहे हैं.

गौरतलब है कि पिछले महीने, राज्यपाल को यादवपुर विश्वविद्यालय में भी इसी तरह के प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था. वहां भी वह दीक्षांत समारोह में शरीक होने गये थे.

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