बैंककर्मियों की हड़ताल के चलते तीन दिन बंद रहेंगे बैंक

सिलीगुड़ी : अपनी लंबित मांगों के निराकरण नहीं होने से नाराज बैंक यूनियन आज से दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर रहेंगे. इसलिए शुक्रवार व शनिवार को बैंक बंद रहेंगे, जबकि रविवार को अवकाश के कारण सभी बैंकों में छुट्टी रहेगी. इस तरह से तीन दिनों तक उपभोक्ता बैंक सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पायेंगे. ऐसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2020 2:15 AM

सिलीगुड़ी : अपनी लंबित मांगों के निराकरण नहीं होने से नाराज बैंक यूनियन आज से दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर रहेंगे. इसलिए शुक्रवार व शनिवार को बैंक बंद रहेंगे, जबकि रविवार को अवकाश के कारण सभी बैंकों में छुट्टी रहेगी. इस तरह से तीन दिनों तक उपभोक्ता बैंक सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पायेंगे. ऐसे में अगर आपको बैंक से संबंधित कोई भी कार्य है, तो उसे सोमवार को ही निपटा सकेंगे. इस हड़ताल का असर राज्य के वेतनभोगी कर्मचारियों व पेंशनधारकों पर अधिक पड़ेगा.

हड़ताल के कारण इस बार इनलोगों को वेतन व पेंशन मिलने में देरी होगी. इस हड़ताल के जरिये बैंक यूनियन ने यह भी कहा है कि अगर तय समय में मांगों का निराकरण नहीं किया गया तो आगामी एक अप्रैल से सभी बैंक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे. इसे बैंक यूनियन की ओर से चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है.
मार्च में भी आठ दिनों तक बंद रहेंगे बैंक
बैंककर्मियों ने अप्रैल में भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. लगातार तीन दिन 11, 12 और 13 मार्च को भी बैंक ने हड़ताल करने का निर्णय किया है.
हालांकि, नौ मार्च को होली है और उस दिन सरकारी छुट्टी रहती ही है. कई कर्मचारी होली के अगले दिन यानी दस मार्च को छुट्टी ले सकते हैं. इसके अलावा हड़ताल 13 मार्च तक रहेगी, लेकिन 14 मार्च को पंचमी होने के कारण एक और छुट्टी होगी. यानी त्योहार के सीजन में सभी बैंक कर्मचारी लगातार छह दिनों तक बंद में शामिल रहेंगे. इसके साथ ही मार्च महीने की सभी छुट्टियों को मिलाया जाये तो करीब 10 दिनों तक बैंक बंद रहेंगे.
पेंशनधारकों व वेतनभोगियों पर पड़ेगा असर, दो दिवसीय हड़ताल के बाद तीसरे दिन रविवार की छुट्टी
बढ़ सकती है उपभोक्ताओं की मुसीबत
लगातार तीन दिनों तक बैंक बंद रहने से व्यवस्थाओं पर खासा असर पड़ने की संभावना है. इसका सीधा असर कामकाज पर पड़ेगा. तीन दिनों की बंदी के कारण बैंकों के एटीएम में कैश की किल्लत भी हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो आमलोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, हड़ताल के दौरान नेट बैंकिंग के सामान्य रूप से काम करने की संभावना है. इससे पहले भी इसी महीने आठ जनवरी को भी बैंक हड़ताल थी. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में आठ जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया था. तब भी बैंक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गये थे.
बैंक यूनियनों के पास यह है बड़ी चिंता
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के दार्जिलिंग जिला के संयुक्त सचिव लखी महतो ने बताया कि केंद्र सरकार वेतन पुनर्गठन समझौते को लागू नहीं कर रही है. इसके लागू हो जाने से बैंककर्मियों को आर्थिक मदद मिलती. केंद्र एक के बाद एक बैंकों को मर्ज करते जा रहा है, लेकिन इन बैंकों के बकाया वसूली को लेकर कोई ठोस नियम नहीं हैं.
हजारों-करोड़ों बकाया डूब जायेगा. इसका नुकसान बैंक व उसके कर्मचारियों के साथ-साथ देश को हो रहा है. इसी कारण आर्थिक सुस्ती देखी जा रही है और बैंकों को मर्ज करने से रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं. श्री महतो ने कहा कि सरकार के रवैये से बैंककर्मियों को परेशानी हो रही है. उन्होंने उत्तर बंगाल के सभी बैंक कर्मचारियों से हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया है.
पहले और अब में आये बदलाव बने विरोध के कारण
मौजूदा समय में जो लोग बैंक अधिकारी के पद पर नियुक्त हो रहे हैं. उनका वेतन काफी कम है. वहीं नये नियुक्त हो रहे क्लर्क का वेतन केंद्र सरकार के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से भी कम है. मांगों के जरिये ये भी कहा गया है कि बैंक अधिकारियों का वेतन किसी समय में आईएस अधिकारी से भी अधिक था. 1977 तक बैंक अधिकारी का वेतन 760 रुपये था तो आईएस अधिकारी का वेतन 700 रुपये था. वेतन निर्धारण के लिए बनायी गई कमेटियों के चलते बैंक कर्मचारियों व अफसरों का वेतन इस स्तर पर पहुंचा है. इसके अलावा नवंबर 2017 में 11वां वेतनमान लागू हो जाना था, लेकिन अब तक उसे लागू नहीं किया गया. ऐसी ही मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की गयी है.

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