कोल इंडिया में हर साल रिटायर हो रहे आठ से 10 हजार, सिर्फ 25% पदों पर ही हो रही नियुक्ति
अगले पांच वर्षों में कंपनी में कुल 40 हजार कर्मचारी कम हो जायेंगे, जबकि नियुक्ति 10 से 15 हजार ही होगी एंप्लॉइज की कम हायरिंग से बचने वाले पैसे का इस्तेमाल कंपनी बेहतर इक्विमेंट खरीदने में करेगी, ताकि प्राइवेट सेक्टर से टक्कर ले सके कोलकाता : कोल इंडिया के खर्चे काफी कम होनेवाले हैं. अगले […]
अगले पांच वर्षों में कंपनी में कुल 40 हजार कर्मचारी कम हो जायेंगे, जबकि नियुक्ति 10 से 15 हजार ही होगी
एंप्लॉइज की कम हायरिंग से बचने वाले पैसे का इस्तेमाल कंपनी बेहतर इक्विमेंट खरीदने में करेगी, ताकि प्राइवेट सेक्टर से टक्कर ले सके
कोलकाता : कोल इंडिया के खर्चे काफी कम होनेवाले हैं. अगले पांच वर्षों में कंपनी में कुल 40 हजार कर्मचारी कम हो जायेंगे, जबकि इसके मुकाबले नियुक्ति 10 से 15 हजार ही होगी. इंप्लाॅइज की कम हायरिंग से बचनेवाले पैसे का इस्तेमाल कंपनी बेहतर इक्विमेंट खरीदने में करेगी, ताकि प्राइवेट सेक्टर से टक्कर ले सके. हर साल कंपनी से आठ हजार से 10,000 कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, जबकि नियुक्ति सिर्फ 25 फीसदी ही हो रही है.
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी सिर्फ जरूरी पदों पर ही भर्तियां करेगी. जॉब पानेवाले लोगों में ऐसे परिवार भी शामिल होंगे, जिन्होंने नयी खदानों के लिए अपनी जमीन खोई है. उन्होंने बताया कि हमारे अनुमान के मुताबिक, अगले साल से सालाना नियुक्तियों की संख्या 3000 से ऊपर नहीं जायेगी.
वर्ष 2015 से एक जनवरी 2020 के बीच कोल इंडिया में कर्मचारियों की संख्या 57,000 कम हो गयी है. अब कंपनी में 2,76,000 कर्मचारी हैं. 2015 से 2024 तक यह संख्या 57,000 से बढ़कर 97,000 तक पहुंच जायेगी और उस वक्त तक कंपनी का प्रोडक्शन एक अरब टन तक पहुंचने का अनुमान है.
वित्त वर्ष 2017-18 तक कंपनी की उत्पादन लागत में 55 फीसदी वेतन पर खर्च होता था. तब से वर्कफोर्स में 23,000 की कमी आयी है, जिससे वेतन पर होनेवाला खर्च घटकर 49.5 प्रतिशत पर आ गया है. उन्होंने कहा : मैनपावर में और कमी और हाइ कपैसिटी इक्विपमेंट का इस्तेमाल बढ़ने से लागत में सैलरी खर्च और कम होगा. इसके उलट, माइन कॉन्ट्रैक्टर की कॉस्ट में वेतन पर 22 फीसदी हिस्सा खर्च होता है.
प्राइवेट माइन कॉन्ट्रैक्टर जहां वर्करों को 15000-25000 महीने की सैलरी देते हैं, वहीं कोल इंडिया कम से कम 80 हजार रुपये की सैलरी के साथ-साथ परिवार का मेडिकल खर्च, एजुकेशन, हाउसिंग आदि बेनिफिट्स भी देती है. अगले वित्त वर्ष में कोल इंडिया का 75 करोड़ टन उत्पादन लक्ष्य है, जिसे 2023-24 तक बढ़ा कर एक अरब टन तक पहुंचाने का टारगेट है.