पारुई हत्याकांड :हाइकोर्ट ने सीबीआइ जांच का दिया निर्देश

राज्य सरकार को फटकार खंडपीठ में अपील करेगी राज्य सरकार कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पारुई हत्याकांड की राज्य की एजेंसियों द्वारा की गयी जांच को खारिज करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को इसकी जांच करने का निर्देश दिया. अदालत का यह निर्देश पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार के लिए एक झटका माना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2014 7:50 AM
राज्य सरकार को फटकार
खंडपीठ में अपील करेगी राज्य सरकार
कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पारुई हत्याकांड की राज्य की एजेंसियों द्वारा की गयी जांच को खारिज करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को इसकी जांच करने का निर्देश दिया. अदालत का यह निर्देश पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार के लिए एक झटका माना जा रहा है.
न्यायमूर्ति हरीश टंडन ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक की अगुवाई वाले विशेष जांच दल (एसआइटी) को जांच से संबंधित सारी सामग्री सीबीआइ के सुपुर्द करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति टंडन ने कहा कि हाइकोर्ट सीबीआइ जांच की निगरानी करेगा और जांच एजेंसी समय समय पर अदालत में रिपोर्ट पेश करेगी.
न्यायालय ने सरकार के वकील कल्याण बंदोपाध्याय का यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया कि इस आदेश पर रोक लगायी जाये ताकि पश्चिम बंगाल सरकार अपील दायर कर सके. एक निर्दलीय पंचायत सदस्य की हत्या की निष्पक्ष जांच की मांग संबंधी याचिका पर अपने फैसले में अदालत ने कहा कि पूरी जांच बाहरी प्रभाव से दागदार है. एसआइटी ने अपेक्षा के अनुरूप जांच नहीं की और एसआइटी की भूमिका संतोषजनक नहीं रही.
अदालत इस बात से भी नाराज थी कि पुलिस महानिदेशक ने उन नेताओं को पाक साफ बताया जिन पर निर्दलीय पंचायत सदस्य सागर घोष की हत्या से कुछ दिन पहले भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.
सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर सागर घोष ने वर्ष 2013 का पंचायत चुनाव बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लड़ा. सागर घोष की हत्या के मामले में दर्ज प्राथमिकी में 41 लोगों के नाम हैं जिनमें तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल और जिलास्तर के चार अन्य नेताओं के नाम भी शामिल हैं.
राज्य के पुलिस महानिदेशक जीएमपी रेड्डी की भूमिका पर नाखुशी प्रकट करते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अनुब्रत मंडल के भड़काऊ भाषण वाला वीडियो फुटेज नहीं देखा. न्यायालय ने कहा कि उसे पुलिस महानिदेशक से उम्मीद थी कि जब अदालत खुद ही मामले की जांच की प्रगति पर नजर रख रहे हैं तब ऐसे में जांच रिपोर्ट किसी भी अधिकारी या सरकारी वकील से साझा नहीं करेंगे. पुलिस महानिदेशक ने इससे पहले अदालत से कहा था कि अदालत की अनुमति के बगैर ही सरकारी वकील की सलाह पर सूरी की सत्र अदालत में मामले में आरोप पत्र दायर किया गया.
उस आरोप पत्र में अनुब्रत मंडल का नाम नहीं है.अदालत ने पुलिस महानिदेशक से पूछा था कि क्या उन्होंने यह महसूस नहीं किया कि भड़काऊ भाषणों और बाद में हुई हत्या का आपस में संबंध है. पुलिस महानिदेशक ने अदालत से कहा कि दोनों मामलों का एक दूसरे से कोई लेना देना नहीं है और भाषणों के सिलसिले में अलग से जांच चल रही है. पुलिस महानिदेशक को चार सितंबर को अदालत ने सम्मन किया था. इधर राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच मे अपील करने का निर्णय किया है. राज्य सरकार के वकील कल्याण बंद्योपाध्याय ने इसकी जानकारी दी.
क्या है मामला
बीरभूम के पारुई थानाक्षेत्र के बदनाबग्राम में पिछले वर्ष 21 जुलाई की रात को सागर घोष को गोली मार दी गयी थी और दो दिन बाद उन्होंने दम तोड़ दिया . हाइकोर्ट ने सागर घोष के बेटे हृदय घोष के अनुरोध पर इस हत्याकांड की सीआइडी जांच का आदेश दिया था. हृदय ने यह दावा करते हुए स्वतंत्र जांच के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि जिला पुलिस पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही है. अदालत ने बाद में इस मामले की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक की अगुवाई में विशेष जांच दल गठित करने का निर्देश दिया था.

Next Article

Exit mobile version