स्लीपर सेल से जुड़ी हैं ‘घातक’ महिलाएं

अजय विद्यार्थी/विकास गुप्ता कोलकाता:पश्चिम बंगाल में सक्रिय आतंकवादी साजिशों को अंजाम देने के लिए गांव की सीधी-सादी महिलाओं का इस्तेमाल करते हैं. बहला-फुसला कर इन्हें स्लीपर सेल में शामिल करते हैं. फिर इनसे विस्फोटक की तस्करी करवाते हैं. आतंकी गतिविधियों में शामिल करने से पहले मदरसों में इनका ब्रेनवॉश किया जाता है. पुलिस को जांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2014 7:02 AM
अजय विद्यार्थी/विकास गुप्ता
कोलकाता:पश्चिम बंगाल में सक्रिय आतंकवादी साजिशों को अंजाम देने के लिए गांव की सीधी-सादी महिलाओं का इस्तेमाल करते हैं. बहला-फुसला कर इन्हें स्लीपर सेल में शामिल करते हैं. फिर इनसे विस्फोटक की तस्करी करवाते हैं. आतंकी गतिविधियों में शामिल करने से पहले मदरसों में इनका ब्रेनवॉश किया जाता है.
पुलिस को जांच में पता चला है कि विस्फोटक बनाने, नये सदस्यों को संगठन से जोड़ने और वीडियो क्लीपिंग की मदद से उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल होता है. इतना ही नहीं, बांग्लादेश में इन्हें गुरिल्ला युद्ध का भी प्रशिक्षण दिया गया था. खारिजी मदरसा से जिहादी शिक्षा लेकर निकलनेवाली महिलाएं औरों को यही शिक्षा देती हैं. बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमाएत-इसलाम-उल-मुजाहिद्दीन के संदेश पर अमल करती हैं और अन्य सदस्यों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करती हैं.
बर्दवान के विस्फोट स्थल से मिले मोबाइल फोन, मेमोरी चिप, इंटरनेट से डाउनलोड किये गये जिहादी संदेश, अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर 9/11 तथा मुंबई पर आतंकी हमले (26/11) के वीडियो फुटेज से इन तथ्यों का खुलासा हुआ है. पुलिस ने घटना का जो विवरण दिया है, उसके मुताबिक, घायल अवस्था में शकील फर्श पर तड़प रहा था और उसकी पत्नी रूमी बेटे को फल खिला रही थी. घटनास्थल के खून साफ कर रही थी और उन कागजातों को जला रही थी, जो इनकी साजिशों का खुलासा कर सकते थे.
यह बताता है कि शकील के स्लीपर सेल में शामिल महिलाएं खूंखार आतंकवादियों से ज्यादा क्रूर हैं. यह पहला मौका है, जब किसी आतंकवादी संगठन में इतने बड़े पैमाने पर स्लीपर सेल में महिलाओं के शामिल होने का मामला सामने आया है. यह और बात है कि लिट्टे ने भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या महिला आत्मघाती के जरिये करवायी थी. (समाप्त)
क्या है स्लीपर सेल
अंतकी षड्यंत्र का वह हिस्सा, जिसमें आतंकवादी संगठन के सदस्य समाज में घुल मिल जाते हैं. लोगों के बीच रह कर अपने आका के निर्देश पर आतंकवादी साजिशों को अंजाम देते हैं.
नैनो पर लगा था बाइक का नंबर

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