केंद्रीय योजनाओं के नाम बदलकर राजनीति कर रहा है केंद्र :ममता

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि पूरे देश में केंद्रीय वित्त पोषण वाली योजनाओं का काम रक गया है क्योंकि केंद्र कल्याणकारी योजनाओं का नाम बदलने की राजनीति में शामिल है. हालांकि, उन्होंने रचनात्मक कार्यों में सरकार को सहयोग देने का आश्वासन दिया. बनर्जी ने पार्टी की बैठक के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2014 11:49 PM
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि पूरे देश में केंद्रीय वित्त पोषण वाली योजनाओं का काम रक गया है क्योंकि केंद्र कल्याणकारी योजनाओं का नाम बदलने की राजनीति में शामिल है.
हालांकि, उन्होंने रचनात्मक कार्यों में सरकार को सहयोग देने का आश्वासन दिया. बनर्जी ने पार्टी की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘समूचे भारत में कई परियोजनाओं के लिए काम रुक गया है क्योंकि केंद्र उनके लिए नाम नहीं ढूंढ पा रहा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में तीन महीने से जवाहरलाल नेहरु नवीकरणीय मिशन का काम रका हुआ है.’’ केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं से गांधी परिवार के सदस्यों के नाम हटाने का कांग्रेस द्वारा विरोध किए जाने के कुछ दिन बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘‘एक सरकार जाती है और दूसरी सरकार आती है. लेकिन सरकारी योजनाओं के नाम में क्यों परिवर्तन होना चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सुशासन चाहते हैं. अगर कोई कठिनाई है तो हम किसी रचनात्मक कार्य में (मोदी सरकार की) मदद कर सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि जाने-माने अर्थशास्त्रियों और एनजीओ ने मनरेगा को हल्का करने के केंद्र के फैसले का विरोध किया है.उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार गरीबों से उनकी आजीविका का स्नेत छीनना चाहती है. नई केंद्र सरकार 100 दिन के काम की योजना को सिर्फ कुछ प्रखंडों तक सीमित करना चाहती है.’’
बनर्जी ने कहा, ‘‘केंद्र ने अब तक 100 दिन के काम के लिए धन जारी नहीं किया है. हम इसके खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखेंगे.’’ उन्होंने कहा कि 100 दिन के काम के तहत नौकरी सृजन के लिए खर्च के मामले में बंगाल नंबर 1 है. उन्होंने कहा, ‘‘हम गुजरात से काफी आगे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘100 दिन के काम योजना को हल्का करने का देश के लोगों पर हानिकारक प्रभाव पडेगा.’’ उन्होंने राज्य सरकार की अनदेखी कर जिलाधिकारियों को आदेश देने के लिए भी केंद्र की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह संघीयता है.’’ बनर्जी ने कहा, ‘‘उन लोगों के द्वारा गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी और असंसदीय भाषा का प्रयोग किया जा रहा है. हम इस तरह की संस्कृति का समर्थन नहीं करते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार के तहत दशा मुङो आपातकाल की याद दिलाती है. क्या केंद्र यह संदेश दे रहा है कि क्या सिर्फ भाजपा का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र जाएगा. किसी अन्य पार्टी का सदस्य प्रधानमंत्री के साथ नहीं जाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले, प्रधानमंत्री अपने साथ संयुक्त राष्ट्र में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर जाते थे. इस साल इसे रद्द कर दिया गया. यह लोकतंत्र की हत्या है.’’

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