सारधा कांड : सीएम ने दी मनगढ़ंत जानकारी

सारधा कांड : मुआवजा देने को लेकर सीएम के बयान पर भाजपा का सवाल कोलकाता : राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारधा के निवेशकों को रुपये लौटाने के संबंध में गलतबयानी की है. यह आरोप प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने लगाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि सारधा के पांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2014 4:28 AM
सारधा कांड : मुआवजा देने को लेकर सीएम के बयान पर भाजपा का सवाल
कोलकाता : राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारधा के निवेशकों को रुपये लौटाने के संबंध में गलतबयानी की है. यह आरोप प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने लगाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि सारधा के पांच लाख निवेशकों को 500 करोड़ रुपये लौटा दिये गये हैं, लेकिन श्यामल सेन कमीशन की वेबसाइट पर बुधवार सुबह तक के जो तथ्य दिये गये हैं, उससे पता चलता है कि राज्य सरकार ने कुल 167.13 करोड़ रुपये दिये हैं.
उसमें से कमीशन ने 166.26 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाये हैं.इसमें 500 करोड़ रुपये की कोई कहानी नजर नहीं आती. वहीं सरकार द्वारा दिये गये रुपये में से 80 करोड़ रुपये गृह मंत्रलय के पुलिस बजट से दिये गये हैं. पुलिस के रुपये को मुख्यमंत्री ने इस काम में लगाया है. कमीशन की वेबसाइट में यह भी कहा गया है कि कुल तीन लाख 95 हजार 162 चेक आयोग ने जारी किये हैं, लेकिन एक व्यक्ति को कई चेक जारी किये जा सकते हैं.
लिहाजा यह कहना भी गलत है कि पांच लाख लोगों को रुपये लौटाये गये. मुख्यमंत्री ने हर बार की तरह इस बार भी मनगढ़ंत जानकारी दी है. उन्हें इस बाबत कुछ भी कहने से पहले कमीशन से सलाह कर लेनी चाहिए थी.
श्री सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि कमीशन का काम केवल निवेशकों को रुपये लौटाना ही नहीं था. इस घोटाले से जुड़े मूल दोषियों को चिह्न्ति भी करना था. वह नहीं किया गया. 2013 के 26 अप्रैल से कमीशन ने काम करना शुरू किया था, लेकिन अभी तक एक भी दोषी को चिह्न्ति नहीं किया जा सका. सारधा की संपत्ति बेच कर पैसे लौटाने की भी बात थी, लेकिन इस दिशा में बिल्कुल भी काम नहीं किया गया.
कमीशन की मियाद नहीं बढ़ाने को सही ठहराते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि दरअसल कमीशन का गठन इसलिए किया गया था, क्योंकि अदालत को कमीशन दिखा कर सीबीआइ जांच से बचा जा सके. अब उसका कोई औचित्य नहीं रहा, क्योंकि सीबीआइ जांच तो शुरू हो चुकी है. राज्य सरकार लोगों में अपनी पार्टी के प्रति विश्वास भी दिलाना चाहती थी , लेकिन अब किसी को भी इस कमीशन पर विश्वास नहीं रहा, लिहाजा इसे बंद कर देना ही सही है.

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