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नेवटिया विवि विधेयक पारित

कोलकाता: विधानसभा में नेवटिया विश्वविद्यालय विधेयक, 2013 पारित हो गया. विधानसभा में बुधवार को राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने विधेयक पेश किया. विधेयक पर बहस के दौरान वाम मोरचा व एसयूसीआइ ने इसका विरोध किया. बाद में डिवीजन में इसे पारित कर दिया गया. बहस का जवाब देते हुए श्री चटर्जी ने बताया […]

कोलकाता: विधानसभा में नेवटिया विश्वविद्यालय विधेयक, 2013 पारित हो गया. विधानसभा में बुधवार को राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने विधेयक पेश किया. विधेयक पर बहस के दौरान वाम मोरचा व एसयूसीआइ ने इसका विरोध किया. बाद में डिवीजन में इसे पारित कर दिया गया.

बहस का जवाब देते हुए श्री चटर्जी ने बताया कि यह विश्वविद्यालय दक्षिण 24 परगना के डायमंड हार्बर में बनेगा. इसमें विज्ञान, तकनीकी, कानून, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान, मेडिसीन, ह्यूमैनिटी, परफार्मिग आर्ट व अन्य विषयों की पढ़ाई होगी. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के प्रस्ताव की जांच वेस्ट बंगाल स्टेट काउंसिल ऑफ हायर एजुकेशन के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में गठित कमेटी द्वारा की गयी. उन्होंने बताया कि 2011 तक बंगाल में ग्रास इनरॉलमेंट अनुपात 12.8 फीसदी था, जो बढ़ कर 18 फीसदी के आसपास हो गया है. केंद्र सरकार ने 2020 तक इसे 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए 4.5 लाख सीटों को बढ़ाने की जरूरत है. यह केवल सरकार के बल पर नहीं हो सकता है, बल्कि इसके लिए निजी सहायता की भी जरूरत होगी. उन्होंेने कहा कि वे लोग केवल सीटों की संख्या बढ़ाने पर जोर नहीं दे रहे हैं, बल्कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जा रहा है. निजी विश्वविद्यालय को 10 करोड़ रुपये का इनडोमेंट फंड रखना होगा.

बैंक में एक करोड़ रुपये की गारंटी रखनी होगी. यूजीसी व एआइसीटीसी के निर्देशों को मानना होगा. 25 फीसदी सीट राज्य के छात्रों के लिए रखनी होगी व आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को वित्तीय मदद भी देनी होगी. उन्होंने कहा कि इससे राज्य से दूसरे राज्यों में शिक्षा के लिए जानेवाले छात्रों पर भी रोक लगेगी. विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि 25 फीसदी सीट घरेलू छात्रों के लिए आरक्षित रखने का मतलब है कि 75 फीसदी सीट बाहर के छात्रों के लिए होंगे. फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक अली इमरान रम्ज ने विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की. एसयूसीआइ के विधायक तरुण नस्कर ने कहा कि वह निजी विश्वविद्यालय का नीतिगत रूप से विरोध करते हैं. निजी विश्वविद्यालय की उपयोगिता इसी से साबित हो जाती है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों के 50 से 90 फीसदी सीटें रिक्त पड़ी हैं.

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